Diplomatic Chaos in Pakistan |
पाकिस्तान की मौजूदा स्थिति ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इस देश के इतिहास को देखते हुए यह स्पष्ट होता है कि इसके गठन से लेकर आज तक इसे स्थिरता नहीं मिल सकी है। पाकिस्तान ने अपने संविधान को चार बार बदला है और अब इसे फिर से संशोधन की जरूरत है। यह स्थिति पाकिस्तान के भीतर चल रही आंतरिक समस्याओं, बलूचिस्तान की आजादी की मांग, और अफगानिस्तान के साथ लगातार तनाव का नतीजा है। बलूचिस्तान के अलग होने की संभावना से न केवल पाकिस्तान कमजोर होगा, बल्कि इससे अफगानिस्तान के प्रभाव में वृद्धि होगी। इस बीच, भारत के लिए एक अवसर बन सकता है कि वह पाक-अधिकृत कश्मीर को अपने नियंत्रण में ले और एक अखंड भारत की परिकल्पना को साकार करे।
पाकिस्तान में विदेशी राजनयिकों पर हो रहे हमलों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी चिंतित कर दिया है। हाल ही में, जर्मनी के एक वरिष्ठ राजनयिक थॉमस फील्डर की रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत हो गई। उनकी मृत शरीर इस्लामाबाद के एक अपार्टमेंट में पाई गई। घटना से जुड़े तथ्य अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाए हैं। यह घटना पाकिस्तान की खैबर पख्तून क्षेत्र की अस्थिरता को उजागर करती है, जहां शिया और सुन्नी समुदायों के बीच विवाद चल रहा है। इसके साथ ही, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच चल रहे डूरंड लाइन विवाद ने भी क्षेत्र की स्थिति को और खराब किया है।
चीन, जो पाकिस्तान के साथ आर्थिक संबंध मजबूत करने के लिए सीपीईसी (चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर) पर काम कर रहा है, लगातार बलूचिस्तान के हमलों का शिकार हो रहा है। बलूचिस्तान के लोग सीपीईसी को अपनी आजादी के लिए खतरा मानते हैं। इससे चीन के राजनयिक और अधिकारी पाकिस्तान में असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। इसके अलावा, अफगानिस्तान में तालिबान की बढ़ती ताकत और पाकिस्तान में मिलिटेंट हिंसा ने देश की स्थिति को और खराब कर दिया है।
2024 में, 12 देशों के राजनयिक पाकिस्तान का दौरा कर रहे थे, जब उनके काफिले पर हमला हुआ। हालांकि इस हमले में कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन यह घटना पाकिस्तान की सुरक्षा स्थिति पर सवाल खड़े करती है। पाकिस्तान में इस प्रकार की घटनाएं नई नहीं हैं। 2023 में, देश में 89 आतंकवादी हमलों की सूचना मिली, जिनमें से पांच आत्मघाती हमले थे। इनमें से अधिकांश हमले चीनियों को निशाना बनाते हुए किए गए, जो पाकिस्तान में काम कर रहे थे।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था भी चरमरा रही है। देश में महंगाई आसमान छू रही है और IMF के कर्ज को चुकाने के लिए पाकिस्तान संघर्ष कर रहा है। इस बीच, पाकिस्तान चीन से हथियारों का आयात कर रहा है, जबकि उसके पास खाने के लिए दाने तक नहीं हैं। इस प्रकार की अव्यवस्था ने पाकिस्तान को और कमजोर बना दिया है। इसके अलावा, बांग्लादेश के साथ पाकिस्तान की बढ़ती निकटता ने भी क्षेत्रीय समीकरणों को प्रभावित किया है।
इस पूरे परिदृश्य में, भारत की स्थिरता और अखंडता को अलग दृष्टि से देखा जा सकता है। जहां पाकिस्तान के क्षेत्र विभाजन के लिए तैयार हैं, भारत ने अपनी अखंडता को बनाए रखा है। उदाहरण के लिए, सिक्किम ने स्वेच्छा से भारत का हिस्सा बनना स्वीकार किया। यह भारत की मजबूत राजनीतिक और सामाजिक प्रणाली को दर्शाता है, जिसने देश को विभाजन से बचाए रखा है।
पाकिस्तान की स्थिति अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए एक सबक है कि कैसे आंतरिक अस्थिरता और कमजोर प्रशासनिक संरचनाएं एक देश को संकट में डाल सकती हैं। इस समय, पाकिस्तान को अपनी आंतरिक समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। अन्यथा, बलूचिस्तान और खैबर पख्तून जैसे क्षेत्रों में अलगाववादी आंदोलन पाकिस्तान को और कमजोर कर सकते हैं।
अंततः, पाकिस्तान की मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि यदि देश ने अपनी समस्याओं का समाधान नहीं किया, तो यह जल्द ही गंभीर संकट में पड़ सकता है।