BCCI's New Rules Shake Indian Cricket : विदेशी दौरों पर BCCI के नए कड़े नियम!

NCI

BCCI's New Rules

 बीसीसीआई ने हाल ही में भारतीय क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं जो उनके खेल और व्यक्तिगत जीवन पर प्रभाव डाल सकते हैं। बोर्ड ने 10 नए नियम लागू किए हैं जिनका पालन करना सभी केंद्रीय अनुबंधित खिलाड़ियों के लिए अनिवार्य है। इन नियमों का मकसद खिलाड़ियों के प्रदर्शन में सुधार करना, उनके फोकस को बनाए रखना और टीम के भीतर एक बेहतर समन्वय स्थापित करना है। हालांकि, इन नियमों के साथ ही कुछ लूपहोल्स भी चर्चा का विषय बन गए हैं।

इन बदलावों की शुरुआत हाल ही में हुई बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में भारत की हार के बाद हुई, जहां भारत को ऑस्ट्रेलिया से 3-1 से हार का सामना करना पड़ा। इस सीरीज ने बीसीसीआई को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या खिलाड़ियों की जीवनशैली और प्राथमिकताएं उनके प्रदर्शन को प्रभावित कर रही हैं। इस हार ने कई सवाल खड़े किए और बीसीसीआई ने खिलाड़ियों के अनुशासन और प्रतिबद्धता को सुनिश्चित करने के लिए नए नियम लागू किए।

सबसे पहला और अहम नियम यह है कि भारतीय टीम के खिलाड़ियों को अब घरेलू क्रिकेट (डोमेस्टिक क्रिकेट) में खेलना अनिवार्य होगा। इससे खिलाड़ियों को सीनियर और जूनियर के बीच बेहतर तालमेल विकसित करने का मौका मिलेगा। हालांकि, इस नियम में यह भी कहा गया है कि अगर कोई खिलाड़ी घरेलू क्रिकेट नहीं खेल सकता तो उसे इसके लिए चयन समिति की अनुमति लेनी होगी। यह प्रावधान कई लोगों के लिए अस्पष्ट है और इससे खिलाड़ियों और बोर्ड के बीच तालमेल में समस्या हो सकती है।

इसके अलावा, खिलाड़ियों को अब अपनी यात्रा और सामान संबंधी नए प्रतिबंधों का सामना करना होगा। घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दौरों के दौरान खिलाड़ियों को टीम के साथ यात्रा करनी होगी और उनके द्वारा ले जाने वाले सामान की मात्रा सीमित कर दी गई है। यदि किसी खिलाड़ी को अतिरिक्त सामान ले जाना है, तो इसके लिए बीसीसीआई की अनुमति लेना अनिवार्य होगा। इसी प्रकार, खिलाड़ियों को अपने व्यक्तिगत कर्मचारियों जैसे मैनेजर, शेफ या सुरक्षा गार्ड को साथ ले जाने की अनुमति भी तभी दी जाएगी जब बोर्ड इसे स्वीकृति देगा।

नए नियमों में खिलाड़ियों के व्यक्तिगत जीवन पर भी ध्यान दिया गया है। विदेशी दौरों पर खिलाड़ियों के परिवार के साथ रहने की अवधि को सीमित कर दिया गया है। यदि कोई खिलाड़ी 45 दिनों तक विदेश में है, तो उसकी पत्नी और बच्चे केवल 14 दिनों के लिए ही उसके साथ रह सकते हैं। इस दौरान बीसीसीआई उनके रहने और खाने का खर्च उठाएगा, लेकिन यदि वे ज्यादा समय तक रुकते हैं, तो खर्च खिलाड़ियों को खुद वहन करना होगा। हालांकि, यह नियम भी खिलाड़ियों और परिवारों के बीच असंतोष का कारण बन सकता है, क्योंकि कई खिलाड़ियों को अपने परिवार के साथ समय बिताना जरूरी लगता है।

विज्ञापन (एडवरटाइजमेंट) और प्रचार से संबंधित नियम भी कड़े कर दिए गए हैं। खिलाड़ियों को अब सीरीज के दौरान या दौरे पर व्यक्तिगत विज्ञापनों की अनुमति नहीं होगी। बोर्ड का मानना है कि इससे खिलाड़ियों का ध्यान भटकता है और उनका फोकस खेल पर कम हो जाता है। बीसीसीआई के इस कदम को कई लोग सकारात्मक मान रहे हैं क्योंकि इससे खिलाड़ियों की प्रतिबद्धता और प्रदर्शन में सुधार हो सकता है। हालांकि, इस निर्णय को लेकर खिलाड़ियों की स्वतंत्रता पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

प्रैक्टिस सेशन और ऑफिशियल शूट्स में उपस्थिति भी अनिवार्य कर दी गई है। खिलाड़ियों को अब बोर्ड द्वारा आयोजित किसी भी कार्यक्रम में भाग लेना होगा और उन्हें पूरी टीम के साथ बने रहना होगा। सीरीज खत्म होने के बाद भी खिलाड़ी टीम के साथ ही वापस लौटेंगे, चाहे उनका मैच जल्दी खत्म क्यों न हो। इस नियम का उद्देश्य टीम के भीतर एकजुटता और सामंजस्य बनाए रखना है।

इन नियमों की आलोचना भी हो रही है। कई लोग मानते हैं कि नियमों में "परमिशन सिस्टम" खिलाड़ियों को उनकी स्वतंत्रता से वंचित करता है और उनकी कार्यशैली में अनावश्यक जटिलता जोड़ता है। उदाहरण के लिए, फैमिली ट्रैवल और अतिरिक्त सामान के लिए अनुमति लेना कई खिलाड़ियों के लिए असुविधाजनक हो सकता है। इसके अलावा, खिलाड़ियों को विज्ञापन के अधिकारों से वंचित करना उनकी आय के स्रोतों को भी प्रभावित कर सकता है।

बीसीसीआई का यह कदम भारतीय क्रिकेट को सुधारने और खिलाड़ियों को अनुशासित करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है। हालांकि, इन नियमों का प्रभाव खिलाड़ियों और टीम के प्रदर्शन पर कैसे पड़ेगा, यह समय ही बताएगा। बोर्ड को यह सुनिश्चित करना होगा कि नियम सख्त तो हों, लेकिन खिलाड़ियों के लिए सहायक भी बनें। खिलाड़ियों के व्यक्तिगत जीवन में हस्तक्षेप से बचते हुए उनकी प्रतिबद्धता और प्रदर्शन को प्राथमिकता देनी होगी।

अंततः, बीसीसीआई के इन नियमों का मकसद भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाना है, लेकिन इस प्रक्रिया में खिलाड़ियों के संतुलित जीवन और उनके अधिकारों का भी ध्यान रखना होगा। खिलाड़ियों और बोर्ड के बीच बेहतर संवाद और समझदारी से ही यह संभव हो सकेगा।

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