The Golan Heights |
गोलन हाइट्स का नाम आते ही इजराइल और सीरिया के बीच लंबे समय से जारी संघर्ष की छवि उभरती है। यह क्षेत्र अपनी भौगोलिक स्थिति और रणनीतिक महत्व के कारण वैश्विक राजनीति में विशेष महत्व रखता है। इजराइल और सीरिया के बीच इस संघर्ष की कहानी इतिहास, राजनीति, और सैन्य रणनीति से जुड़ी हुई है। गोलन हाइट्स को समझने के लिए इसके ऐतिहासिक, सामाजिक और राजनीतिक पहलुओं पर ध्यान देना आवश्यक है।
इजराइल का निर्माण और संघर्ष की शुरुआत
1948 में इजराइल की स्थापना के बाद, यह क्षेत्र कई संघर्षों का केंद्र रहा है। यहूदियों ने जर्मनी में हुए अत्याचारों से प्रेरित होकर अपने लिए एक सुरक्षित देश की कल्पना की थी। इसके परिणामस्वरूप, इजराइल का निर्माण हुआ। हालांकि, सीमित क्षेत्रफल और पड़ोसी देशों के विरोध ने इसे शुरू से ही संघर्ष का सामना करने पर मजबूर किया। इजराइल ने अपनी सुरक्षा और अस्तित्व सुनिश्चित करने के लिए 1967 में छः दिन के युद्ध (Six-Day War) में बड़ी जीत हासिल की, जिसमें उसने कई रणनीतिक क्षेत्रों पर कब्जा किया। इन्हीं क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण स्थान है गोलन हाइट्स।
गोलन हाइट्स का भौगोलिक और रणनीतिक महत्व
गोलन हाइट्स एक पहाड़ी क्षेत्र है जो इजराइल और सीरिया के बीच स्थित है। इसका अधिकतर हिस्सा इजराइल के नियंत्रण में है। यह क्षेत्र रणनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यहाँ से इजराइल और आसपास के देशों की गतिविधियों पर नजर रखी जा सकती है। यह क्षेत्र कृषि, जल संसाधन और सैन्य सुरक्षा के लिए भी अहम है। इजराइल इसे एक बफर ज़ोन (Buffer Zone) के रूप में उपयोग करता है, जो इसे पड़ोसी देशों से संभावित हमलों से बचाता है।
छः दिन के युद्ध में गोलन हाइट्स की जीत
1967 के छः दिन के युद्ध के दौरान, इजराइल ने गोलन हाइट्स पर कब्जा कर लिया। यह युद्ध 5 जून से 10 जून तक चला, जिसमें इजराइल ने कई अरब देशों को हराकर इस क्षेत्र को अपने नियंत्रण में लिया। इस जीत ने इजराइल को रणनीतिक रूप से और मजबूत किया। गोलन हाइट्स से इजराइल सीरिया, लेबनान और जॉर्डन जैसे देशों की गतिविधियों पर नजर रखने में सक्षम हो गया। इसके साथ ही, यह क्षेत्र हिजबुल्लाह और अन्य विद्रोही गुटों को नियंत्रित करने में भी सहायक है।
यूएसए और अन्य देशों का समर्थन
इजराइल को गोलन हाइट्स पर अपना नियंत्रण बनाए रखने में अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों का समर्थन प्राप्त है। 2019 में, तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गोलन हाइट्स पर इजराइल की संप्रभुता को मान्यता दी। यह इजराइल के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत थी। हालांकि, सीरिया इस क्षेत्र को अपना हिस्सा मानता है और इसे वापस पाने की मांग करता है। इस विवाद के कारण दोनों देशों के बीच तनाव बना हुआ है।
सीरिया का संघर्ष और गोलन हाइट्स
सीरिया ने 1973 में अरब-इजराइल युद्ध के दौरान गोलन हाइट्स को वापस लेने की कोशिश की थी, लेकिन वह असफल रहा। इसके बाद भी, सीरिया ने इसे लेकर कई बार इजराइल से वार्ता की, लेकिन दोनों पक्षों के बीच कोई ठोस समझौता नहीं हो पाया। गोलन हाइट्स पर कब्जा बनाए रखना इजराइल के लिए एक प्रमुख सैन्य और राजनीतिक प्राथमिकता है।
यूनाइटेड नेशंस का हस्तक्षेप
गोलन हाइट्स को लेकर तनाव को कम करने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने बफर ज़ोन की स्थापना की है। इस क्षेत्र में यूएन की फोर्सेस निगरानी करती हैं और इसे डिमिलिटराइज्ड ज़ोन (Demilitarized Zone) घोषित किया गया है। इस ज़ोन में दोनों देशों की सेनाओं का प्रवेश वर्जित है। यह क्षेत्र 400 वर्ग किलोमीटर में फैला है और इसे दो भागों में विभाजित किया गया है - अल्फा लाइन और ब्रेवो लाइन।
विद्रोही गुट और इजराइल की रणनीति
गोलन हाइट्स में सीरिया के विद्रोही गुट सक्रिय हैं, जिनमें हिजबुल्लाह और एचटीएस प्रमुख हैं। ये गुट इजराइल के लिए खतरा हैं और समय-समय पर हमले करते रहते हैं। इजराइल ने इन गुटों के हथियार खत्म करने और उनकी ताकत को कमजोर करने की रणनीति अपनाई है। सीरिया के विद्रोही गुटों द्वारा अब तक 400 से अधिक हमले किए जा चुके हैं, लेकिन इजराइल ने इन हमलों का प्रभावी तरीके से मुकाबला किया है।
बेंजामिन नेतन्याहू की योजना
इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गोलन हाइट्स में जनसंख्या और बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए 11 मिलियन डॉलर का निवेश करने की घोषणा की है। इस क्षेत्र में इजराइली सेटलमेंट्स की संख्या बढ़ाई जा रही है। इसके अलावा, 24,000 ड्रूज भी यहाँ रहते हैं, जो अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान बनाए हुए हैं।
वैश्विक राजनीति और भविष्य
गोलन हाइट्स का विवाद न केवल इजराइल और सीरिया बल्कि वैश्विक राजनीति पर भी प्रभाव डालता है। यह क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शक्ति संतुलन और कूटनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इजराइल और सीरिया के बीच यह संघर्ष आने वाले समय में और गहराने की संभावना है, जिससे यह क्षेत्र वैश्विक संघर्ष का केंद्र बन सकता है।
गोलन हाइट्स इजराइल और सीरिया के बीच संघर्ष का प्रतीक है। यह क्षेत्र केवल भौगोलिक रूप से ही नहीं, बल्कि राजनीतिक, सैन्य और कूटनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इजराइल ने इसे अपने नियंत्रण में रखने के लिए हर संभव प्रयास किया है, जबकि सीरिया इसे वापस पाने के लिए संघर्षरत है। गोलन हाइट्स का भविष्य इस क्षेत्र में स्थिरता और शांति की दिशा तय करेगा।