Sulfur Pollution is Slowly Poisoning: जहर बनती हवा और खतरनाक बारिश

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Sulfur Pollution

सल्फर (Sulfur) हमारी धरती पर और ब्रह्मांड में सबसे अधिक मात्रा में पाया जाने वाला एक तत्व है। यह एक ऐसा तत्व है जो ठोस रूप में पीले रंग का होता है और गंधहीन भी, लेकिन इसके कुछ यौगिक (Compounds) जहरीले और खतरनाक होते हैं। सल्फर न केवल हमारे खाद्य पदार्थों में पाया जाता है बल्कि यह हमारे शरीर का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है। ब्रोकली, पत्ता गोभी, प्याज और लहसुन जैसे खाद्य पदार्थों में सल्फर के यौगिक मौजूद रहते हैं। लहसुन को कूटने पर निकलने वाली तीखी गंध और प्याज की तेज महक का कारण सल्फर ही है। इसके अलावा, पानी के झरनों और दलदल जैसी प्राकृतिक संरचनाओं में सल्फर हाइड्रोजन सल्फाइड (Hydrogen Sulfide) गैस के रूप में उपस्थित रहता है, जो सड़े अंडे जैसी गंध उत्पन्न करता है। प्राकृतिक रूप से मौजूद यह गैस वेटलैंड्स और झरनों से निकलती है और यह जहरीली भी हो सकती है।

वायुमंडल में सल्फर डाइऑक्साइड (Sulfur Dioxide) एक अन्य प्रमुख गैस है, जो बादलों के निर्माण में मदद करती है। यह गैस क्लाउड कंडेन्सेशन न्यूक्लियाई के रूप में कार्य करती है और इससे बनने वाले बादल सूर्य की किरणों को वापस अंतरिक्ष में परावर्तित करते हैं, जिससे वैश्विक तापमान कम करने में मदद मिलती है। एक तरह से यह ग्लोबल वॉर्मिंग को धीमा करता है। लेकिन इसका दूसरा पहलू बहुत ही खतरनाक है। सल्फर अत्यधिक रिएक्टिव तत्वों में से एक है, और जब यह अन्य तत्वों के संपर्क में आता है, तो यह जहरीले यौगिक बनाता है। इन जहरीले यौगिकों में सबसे अधिक नुकसानदायक सल्फर डाइऑक्साइड और हाइड्रोजन सल्फाइड गैस हैं। यह गैसें मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए गंभीर खतरा बन सकती हैं। सल्फर डाइऑक्साइड का सबसे बड़ा स्रोत जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuels) का जलाना है। कोयला जलाने से निकलने वाले प्रदूषक वायु में घुलकर न केवल वातावरण को दूषित करते हैं, बल्कि यह एसिड रेन (Acid Rain) का भी कारण बनते हैं।

एसिड रेन सल्फर के सबसे खतरनाक प्रभावों में से एक है। जब सल्फर डाइऑक्साइड वायुमंडल में जाकर पानी और अन्य तत्वों के साथ प्रतिक्रिया करता है, तो यह सल्फ्यूरिक एसिड बनाता है। यह एसिड बारिश के साथ धरती पर गिरता है और झीलों, नदियों और मिट्टी को अम्लीय (Acidic) बना देता है। इससे पानी के जलीय जीवन पर सीधा प्रभाव पड़ता है। मछलियों और अन्य जलीय जीवों की प्रजातियां नष्ट हो जाती हैं। मिट्टी की अम्लीयता बढ़ने के कारण पौधों की वृद्धि भी रुक जाती है, क्योंकि पौधे अपनी जड़ों के माध्यम से आवश्यक पोषक तत्वों को अवशोषित नहीं कर पाते हैं। वातावरण में लगातार सल्फर उत्सर्जन से यह समस्या और अधिक गंभीर होती जा रही है।

शहरी क्षेत्रों और औद्योगिक इलाकों में वायु प्रदूषण का मुख्य स्रोत सल्फर उत्सर्जन है। चीन जैसे देशों में जहां बड़े पैमाने पर कोयला जलाया जाता था, वहां सल्फर डाइऑक्साइड का स्तर इतना अधिक हो गया कि इससे हर साल लाखों लोगों की जान जाने लगी। चीन में इस समस्या से निपटने के लिए कई कदम उठाए गए, जैसे कि स्क्रबर तकनीक (Scrubber Technology) का उपयोग, जो पावर प्लांट्स से निकलने वाले सल्फर को वायुमंडल में जाने से रोकता है। हालांकि, ऐसी तकनीकों को लागू करने के लिए भारी धन और इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होती है, जो कई देशों के लिए आसान नहीं है। कोयला आधारित ऊर्जा उत्पादन के कारण ही चीन दुनिया में सबसे बड़ा सल्फर उत्सर्जक देश बना था। हालांकि, अब वहां सख्त नियम लागू किए गए हैं, जिससे सल्फर उत्सर्जन में कमी आई है, लेकिन अन्य देशों में यह समस्या अभी भी जारी है।

सल्फर उत्सर्जन के कारण ही पीएम 2.5 जैसे बारीक कण (Fine Particulate Matter) उत्पन्न होते हैं, जो हवा में घुलकर मानव स्वास्थ्य के लिए घातक बन जाते हैं। यह कण फेफड़ों में जाकर सांस की बीमारियों, अस्थमा और हृदय रोगों का कारण बनते हैं। जिन शहरों में वायु प्रदूषण का स्तर बहुत अधिक है, जैसे कि बीजिंग या अन्य बड़े औद्योगिक शहर, वहां स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। इन क्षेत्रों में लोग घने कोहरे और जहरीली हवा का सामना करते हैं।

हालांकि, सल्फर प्रदूषण को कम करने के लिए वैश्विक स्तर पर कई कदम उठाए जा रहे हैं। 2020 में समुद्री ईंधन (Marine Fuel) में सल्फर की मात्रा को सीमित करने के लिए सख्त नियम लागू किए गए, जिससे समुद्र के रास्ते होने वाले प्रदूषण में गिरावट आई है। इसके अलावा, तेल और गैस के रिफाइनिंग प्रोसेस में सुधार करके सल्फर उत्सर्जन को नियंत्रित करने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन केवल नियम और तकनीक ही समाधान नहीं है। जीवाश्म ईंधन पर हमारी निर्भरता को समाप्त करना ही इस समस्या का स्थायी समाधान है। अगर हमें सल्फर प्रदूषण से निपटना है, तो हमें नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और अन्य स्वच्छ ऊर्जा के स्रोतों की ओर कदम बढ़ाना होगा।

सल्फर का एक पक्ष यह भी है कि यह हमारे जीवन के लिए आवश्यक है। यह हमारे शरीर के निर्माण में उपयोगी है, खाद्य पदार्थों का स्वाद बढ़ाता है, और वायुमंडल में प्राकृतिक प्रक्रियाओं को संचालित करता है। लेकिन जब यह प्रदूषण के रूप में सामने आता है, तो यह जीवन के लिए घातक बन जाता है। बढ़ते औद्योगीकरण और ऊर्जा उत्पादन के लिए कोयला जलाने की वजह से सल्फर की समस्या दिन-प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है। हमें यह समझना होगा कि सल्फर उत्सर्जन को नियंत्रित करना न केवल मानव स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिए भी यह अनिवार्य है। इसके लिए वैश्विक स्तर पर जागरूकता और कार्रवाई की आवश्यकता है, ताकि हम सल्फर के खतरों से बच सकें और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण प्रदान कर सकें।

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