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मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के प्रबंध संचालक क्षितिज सिंघल ने प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना की प्रगति की समीक्षा करते हुए उपभोक्ताओं को इस योजना का लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि योजना का मुख्य उद्देश्य देशभर के घरों को सौर ऊर्जा के माध्यम से सस्ती और स्वच्छ बिजली प्रदान करना है। इस योजना के तहत उपभोक्ताओं को सब्सिडी के रूप में सरकार की ओर से वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। उदाहरण के तौर पर, एक किलोवाट सोलर संयंत्र की स्थापना पर 30 हजार रुपये, दो किलोवाट पर 60 हजार रुपये और तीन से 10 किलोवाट तक के संयंत्र पर अधिकतम 78 हजार रुपये की सब्सिडी दी जा रही है। यह योजना स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के साथ ही उपभोक्ताओं को आर्थिक रूप से लाभान्वित करने के लिए बनाई गई है।
प्रबंध संचालक ने उपभोक्ताओं से अनुरोध किया कि वे योजना के तहत अपने घरों में सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिए केवल रजिस्टर्ड और अधिकृत वेंडरों का ही चयन करें। उन्होंने यह भी कहा कि ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराने के बाद उपभोक्ता सुनिश्चित करें कि उनके बैंक खाते में नाम, आधार कार्ड में नाम और बिजली बिल में नाम समान हो। यह कदम इसलिए आवश्यक है ताकि सब्सिडी समय पर उपभोक्ताओं के खातों में ट्रांसफर हो सके। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उपभोक्ता और वेंडर दोनों को दस्तावेजों की एकरूपता सुनिश्चित करने में सहयोग करना चाहिए।
समीक्षा बैठक के दौरान यह भी बताया गया कि अब 1 दिसंबर 2024 से प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना के तहत स्थापित किए जाने वाले सभी सौर संयंत्रों में स्मार्ट मीटर अनिवार्य होगा। स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं को मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा एस.ओ.आर. रेट पर प्रदान किया जाएगा। इस पहल से उपभोक्ताओं को सोलर वेंडर को किए जाने वाले भुगतान में 6 से 8 हजार रुपये तक की बचत होगी। इसके साथ ही, 10 किलोवाट तक के सोलर संयंत्र की स्थापना के अधिकार अब वितरण केंद्रों में पदस्थ प्रबंधकों और सहायक प्रबंधकों को सौंप दिए गए हैं। इससे संयंत्र की स्थापना प्रक्रिया तेज होगी और उपभोक्ताओं को कम समय में सेवा उपलब्ध हो सकेगी।
सौर संयंत्र की स्थापना से संबंधित आवेदन अब ऑनलाइन माध्यम से किए जा सकते हैं। यह प्रक्रिया उपभोक्ताओं के लिए सरल और पारदर्शी बनाई गई है ताकि किसी प्रकार की असुविधा न हो। बैठक में यह भी निर्देश दिए गए कि सौर संयंत्रों में जहां नेट मीटर के साथ मोडेम और सिम लगे हैं, लेकिन डाटा कम्युनिकेशन का अभाव है, वहां संबंधित वेंडरों को नोटिस जारी किया जाए। यदि वेंडर इसके बावजूद समस्या का समाधान नहीं करते हैं, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
समीक्षा बैठक के दौरान स्मार्ट मीटर की उपलब्धता और उपयोगिता पर भी चर्चा की गई। यह स्मार्ट मीटर न केवल उपभोक्ताओं को उनके बिजली उपभोग पर बेहतर नियंत्रण देता है, बल्कि ऊर्जा प्रबंधन को भी अधिक प्रभावी बनाता है। इससे उपभोक्ताओं को उनके बिजली बिलों में भी राहत मिलेगी।
इस योजना के तहत अब तक 16 जिलों के 6,377 से अधिक उपभोक्ताओं को जोड़ा गया है। इन जिलों में भोपाल, नर्मदापुरम्, ग्वालियर और चंबल संभाग शामिल हैं। यह योजना लोगों के बीच सौर ऊर्जा के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इसे अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। कंपनी द्वारा योजना से जुड़ी जानकारी और सहायता के लिए कई माध्यम उपलब्ध कराए गए हैं, जिनमें टोल-फ्री नंबर और वॉट्सऐप चैटबॉट शामिल हैं।
प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि यह आर्थिक रूप से भी फायदेमंद है। सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने से बिजली बिल में कमी आती है और उपभोक्ता अतिरिक्त बिजली उत्पादन के जरिए आय भी अर्जित कर सकते हैं। सरकार की ओर से प्रदान की जाने वाली सब्सिडी इस प्रक्रिया को और अधिक सुलभ बनाती है।
इस योजना का लक्ष्य न केवल घरेलू स्तर पर बिजली उत्पादन को बढ़ावा देना है, बल्कि भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना भी है। सौर ऊर्जा की उपयोगिता और इसके फायदे को देखते हुए इस योजना को तेजी से लागू किया जा रहा है। यह पहल न केवल पर्यावरण संरक्षण में मदद करेगी, बल्कि देश की ऊर्जा जरूरतों को भी पूरा करेगी।
कंपनी द्वारा सौर संयंत्र की स्थापना में आने वाली बाधाओं को कम करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि उपभोक्ता इस योजना का अधिक से अधिक लाभ उठा सकें और उन्हें किसी भी प्रकार की असुविधा न हो। प्रबंध संचालक ने इस दिशा में काम करने वाले कर्मचारियों और वेंडरों से भी सहयोग की अपेक्षा की है।
प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पहल है, जो भविष्य में देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में अहम भूमिका निभाएगी। इससे न केवल बिजली उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी, बल्कि यह पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में भी सहायक होगी।