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यह कहानी एक गरीब और परेशान लड़की यूरा की है, जो अपनी जिंदगी के संघर्षों से जूझ रही थी। गरीबी के कारण उसे अच्छे स्कूल में पढ़ाई करने का मौका नहीं मिल रहा था और वह अक्सर अपने पिता को अपनी तकलीफों का जिम्मेदार मानती थी। उसके पिता की मौत तब हुई थी जब वे किसी बच्चे की जान बचाते हुए अपनी जान गंवा बैठे थे, लेकिन उनके इस बलिदान ने यूरा को और उसकी मां को अकेला और लाचार छोड़ दिया। एक दिन जब उसकी मां से उसकी बहस हो जाती है, तो गुस्से में वह रात के अंधेरे में बाहर निकल जाती है। तेज बारिश हो रही थी, और यूरा का गुस्सा कम होने का नाम नहीं ले रहा था। चलते-चलते उसे एक पुरानी गुफा दिखाई देती है, जहां वह रात गुजारने का फैसला करती है। उसे इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि यह गुफा उसे एक ऐसे समय में ले जाएगी, जहां उसकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल जाएगी। सुबह जब वह सोकर उठती है और गुफा के बाहर कदम रखती है, तो उसे अपने आसपास का नजारा पूरी तरह बदला हुआ नजर आता है। वहां न सड़कें थीं, न कारें, न ही आधुनिक दुनिया की कोई चीज। उसे हरा-भरा मैदान दिखता है, और यह समझने में उसे देर नहीं लगती कि वह कहीं और पहुंच गई है। भूख और थकावट के कारण वह वहीं गिर जाती है, लेकिन तभी उसे एक जापानी सैनिक सकुमा उठाता है और उसे पानी पिलाकर पास के गांव में ले जाता है। सकुमा उसे एक रेस्टोरेंट की मालकिन के पास छोड़ देता है, जो युद्ध के समय सैनिकों को मुफ्त में खाना खिलाती हैं।
धीरे-धीरे यूरा को एहसास होता है कि वह 1945 के जापान में पहुंच चुकी है, जब द्वितीय विश्व युद्ध अपने चरम पर था। उसे यह भी पता चलता है कि वह यहां सिर्फ एक समय यात्री नहीं है, बल्कि उसे कुछ बहुत बड़ा देखने और समझने का मौका मिला है। रेस्टोरेंट में रहने के दौरान उसकी मुलाकात कई सैनिकों से होती है, जो युद्ध में जाने के लिए तैयार होते हैं। इनमें सकुमा भी शामिल है, जो एक पायलट है और देश की सेवा करने के लिए अपना सब कुछ कुर्बान करने को तैयार है। सकुमा और यूरा के बीच एक अनोखा रिश्ता बनने लगता है। सकुमा की बातों और उसकी बहादुरी से यूरा प्रभावित होती है, लेकिन वह जानती है कि यह युद्ध जापान के लिए बर्बादी लेकर आएगा। वह कई बार सकुमा को समझाने की कोशिश करती है कि युद्ध में कुछ नहीं रखा है, लेकिन सकुमा इसे अपना कर्तव्य मानता है और पीछे हटने से इनकार कर देता है। एक दिन जब गांव पर हमला होता है और दुश्मनों के बम गिरने लगते हैं, तो यूरा भी इस त्रासदी का हिस्सा बन जाती है। वह मलबे के नीचे फंस जाती है, लेकिन सकुमा उसे बचाने के लिए अपनी जान की बाजी लगा देता है। सकुमा की इस बहादुरी और उसके देखभाल करने के तरीके से यूरा का दिल उसके लिए धड़कने लगता है।
सकुमा और उसके साथी जब अंतिम लड़ाई के लिए तैयार होते हैं, तो यूरा की आंखों में आंसू आ जाते हैं। वह जानती है कि यह उनकी आखिरी विदाई है और वे कभी लौटकर नहीं आएंगे। सकुमा को रोकने के लिए वह पूरी कोशिश करती है, लेकिन सकुमा अपने कर्तव्य से पीछे हटने को तैयार नहीं होता। वह युद्ध के मैदान में जाने से पहले अपनी आंखों में देश की सेवा करने का गर्व लेकर उड़ान भरता है, जबकि यूरा बेबस होकर रोती रहती है। वह बेहोश होकर गिर जाती है और जब उसकी आंख खुलती है, तो वह वापस अपनी दुनिया, 2024 के समय में लौट आई होती है। शुरू में उसे लगता है कि यह सब एक सपना था, लेकिन जब वह एक युद्ध संग्रहालय जाती है, तो वहां उसे सकुमा की तस्वीर और उसका लिखा हुआ पत्र मिलता है। पत्र में सकुमा ने लिखा था कि वह हमेशा से यूरा को खुश देखना चाहता था और उसे प्यार करता था, लेकिन वह कभी यह कह नहीं पाया क्योंकि वह जानता था कि युद्ध में जाने से पहले उसे रोकने के लिए यूरा हर संभव कोशिश करेगी। पत्र पढ़ते ही यूरा की आंखों से आंसू बहने लगते हैं और उसे एहसास होता है कि वह जो कुछ देख और महसूस कर रही थी, वह सच था। सकुमा के साथ बिताए गए कुछ दिन उसके जीवन के सबसे अनमोल पल थे, जिन्होंने उसे सिखाया कि जीवन का क्या मोल होता है।
यूरा के जीवन में यह यात्रा एक नया मकसद लेकर आती है। वह फैसला करती है कि वह टीचर बनेगी और आने वाली पीढ़ी को युद्ध की भयावहता और जीवन का महत्व समझाएगी। उसने यह जान लिया था कि हर दिन की कितनी कीमत होती है और हर एक जिंदगी का मोल कितना बड़ा है। सकुमा के बलिदान ने यूरा को एक मजबूत और समझदार लड़की बना दिया था, जो अब अपनी जिंदगी को एक नए मकसद के साथ जीने के लिए तैयार थी। वह उसी बगीचे में लौटती है, जहां उसने सकुमा के साथ कुछ खूबसूरत पल बिताए थे, लेकिन अब वहां सिर्फ एक फूल बचा हुआ था। उस फूल को देखकर वह सकुमा की यादों को अपने दिल में समेट लेती है और मुस्कुराते हुए आगे बढ़ती है। यह कहानी हमें सिखाती है कि प्यार और बलिदान से बड़ी कोई चीज नहीं है, और युद्ध में हार-जीत से ज्यादा अहमियत इंसानियत की होती है।