Pakistan's Economy on the Brink: पाकिस्तान का आर्थिक संकट गहराया!

NCI

IMF

पाकिस्तान इस समय अत्यधिक गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। यह संकट न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से बल्कि सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर भी स्पष्ट रूप से झलक रहा है। हाल के दिनों में, देश की अर्थव्यवस्था में स्थिरता लाने के प्रयास लगातार विफल हो रहे हैं। ऐसे में एक बड़ा झटका तब लगा जब विश्व बैंक ने पाकिस्तान को 500 मिलियन डॉलर का ऋण (loan) देने से इनकार कर दिया। इस निर्णय ने पाकिस्तान की स्थिति को और भी जटिल बना दिया है।

आर्थिक संकट और आतंकवाद

विश्व बैंक का यह निर्णय पाकिस्तान के क्लीन एनर्जी प्रोग्राम (Clean Energy Program) के तहत ऋण को रद्द करने का है। विश्व बैंक को संदेह था कि यह धन आतंकवाद या अन्य गैर-जरूरी गतिविधियों में उपयोग किया जा सकता है। पाकिस्तान की वर्तमान आर्थिक स्थिति में सुधार की बजाय इसके और बिगड़ने की संभावनाएं ज्यादा हैं। पहले से ही आर्थिक संकट का सामना कर रहे पाकिस्तान के पास अब और भी कम विकल्प बचे हैं।

चीन का प्रभाव और सीपैक की स्थिति

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में चीन के निवेश (investment) का एक बड़ा योगदान रहा है, विशेषकर चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के जरिए। लेकिन हाल के समय में चीन ने अपने निवेश को सीमित कर दिया है। यह स्थिति और अधिक खराब तब हो गई जब आईएमएफ (IMF) ने अपनी वित्तीय सहायता को कुछ शर्तों के तहत उपलब्ध कराया। इनमें सबसे महत्वपूर्ण शर्त यह थी कि पाकिस्तान को चीन के निवेश को सीमित करना होगा। यह शर्त पाकिस्तान के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है।

सीपैक, जिसे पाकिस्तान के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण परियोजना माना जा रहा था, अब असफल होती दिखाई दे रही है। चीन से आने वाले निवेश में पिछले साल 25% से 22% तक की गिरावट आई है। इस प्रोजेक्ट की असफलता का मुख्य कारण आतंकवादी हमले और पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता है।

आईएमएफ और टैक्स सुधार

आईएमएफ ने अपनी वित्तीय सहायता के बदले पाकिस्तान पर कई शर्तें लगाई हैं। इसमें सबसे महत्वपूर्ण शर्त है कि पाकिस्तान को अपना टैक्स बेस (tax base) बढ़ाना होगा। इसका अर्थ है कि उन्हें कृषि, खुदरा और निर्यात जैसे क्षेत्रों में टैक्स लगाने की प्रक्रिया को दुरुस्त करना होगा। लेकिन यह काम इतना आसान नहीं है। पहले से ही गरीबी और बेरोजगारी की मार झेल रहे लोगों पर अतिरिक्त टैक्स का बोझ डालना उनके लिए मुश्किल है।

आईएमएफ ने यह भी शर्त रखी है कि पाकिस्तान को अपने सरकारी विभागों में सुधार करना होगा। सरकारी कंपनियों में हो रहे नुकसान को कम करने के लिए उन्हें निजीकरण (privatization) पर विचार करना होगा। जैसे भारत ने एयर इंडिया को टाटा ग्रुप को सौंप दिया, पाकिस्तान को भी इस दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है।

राजनीतिक अस्थिरता और मिलिट्री का प्रभाव

पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता भी आर्थिक संकट का एक बड़ा कारण है। वहां की सेना का देश के आर्थिक निर्णयों में अत्यधिक प्रभाव है। सेना, जो कि आर्थिक मामलों में विशेषज्ञता नहीं रखती, अपने स्वार्थ के लिए गलत निर्णय ले रही है। इससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और भी कमजोर हो रही है। जब तक सेना का दखल आर्थिक मामलों में बना रहेगा, तब तक स्थिति में सुधार की संभावना कम है।

टेक्सटाइल और आईटी उद्योग

पाकिस्तान की टेक्सटाइल (textile) और आईटी (IT) इंडस्ट्री में भी संकट गहरा रहा है। टेक्सटाइल, जो देश के कुल निर्यात का 60% है, वर्तमान में कठिनाइयों का सामना कर रहा है। वहीं, आईटी सेक्टर, जो 2 बिलियन डॉलर के एक्सपोर्ट तक पहुंच चुका था, इंटरनेट प्रतिबंध और राजनीतिक अस्थिरता के कारण प्रभावित हो रहा है। सरकार का इंटरनेट बैन लगाना एक बड़ी बाधा बन चुका है। यह समस्या न केवल अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि युवा वर्ग को देश छोड़ने पर मजबूर कर रही है।

युवा वर्ग और बेरोजगारी

पाकिस्तान में बेरोजगारी दर लगभग 85% तक पहुंच गई है। उच्च शिक्षित युवा वर्ग के पास रोजगार के सीमित अवसर हैं। इससे उनका देश छोड़ने का प्रवृत्ति बढ़ा है। आईएमएफ और विश्व बैंक जैसी संस्थाओं की शर्तें पूरी करना उनके लिए अत्यधिक कठिन साबित हो रहा है।

आतंकवाद और भारत से संबंध

पाकिस्तान के आतंकवाद से ग्रस्त होने की समस्या उसकी अर्थव्यवस्था पर सीधा असर डाल रही है। जब तक वह भारत के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित नहीं करता और आतंकवाद पर नियंत्रण नहीं करता, तब तक उसकी स्थिति में सुधार की संभावना नहीं है। भारत के साथ संबंध सुधारने से न केवल आर्थिक बल्कि सामाजिक स्थिरता भी आएगी।

पाकिस्तान की वर्तमान आर्थिक स्थिति अत्यधिक गंभीर है। देश को आर्थिक सुधार के लिए कठिन निर्णय लेने की आवश्यकता है। टैक्स बेस का विस्तार, निजीकरण, राजनीतिक स्थिरता और सेना का आर्थिक मामलों से दूर रहना ऐसे कदम हैं जो स्थिति को सुधार सकते हैं। साथ ही, भारत और अन्य देशों के साथ संबंधों में सुधार करना पाकिस्तान के लिए लाभदायक होगा। यदि इन सभी उपायों को अपनाया जाता है, तो पाकिस्तान भविष्य में एक स्थिर और समृद्ध राष्ट्र बन सकता है।

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