Pakistan vs Afghanistan |
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हालिया घटनाएं इस क्षेत्र में अस्थिरता और तनाव को और अधिक बढ़ा रही हैं। पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति इस समय बेहद खराब है, और इन हालातों में वह अफगानिस्तान के खिलाफ एयर स्ट्राइक कर रहा है। 24 दिसंबर को पाकिस्तान ने अपने जेट्स और ड्रोन भेजकर अफगानिस्तान के पक्तिका प्रांत में कार्रवाई की, जिसमें उसने दावा किया कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के आतंकवादियों को निशाना बनाया गया। हालांकि, अफगानिस्तान ने इस कार्रवाई में 46 नागरिकों के मारे जाने का आरोप लगाया, जिसमें महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। यह तनाव केवल दो देशों के बीच का मुद्दा नहीं है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है। अफगानिस्तान ने इस हमले के विरोध में पाकिस्तान को समन भी जारी किया और इसे अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन बताया।
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच विवाद का एक बड़ा कारण डूरंड लाइन है, जिसे 1947 में खींचा गया था। अफगानिस्तान ने इसे कभी स्वीकार नहीं किया और इसे अवैध मानता है। इसी कारण दोनों देशों के बीच सीमा पर लगातार संघर्ष होता रहता है। इस क्षेत्र में शिया और सुन्नी गुटों के बीच भी तनाव है, जो स्थिति को और जटिल बनाता है। खैबर पख्तूनख्वा और आसपास के इलाकों में अक्सर हमले होते हैं, जिससे दोनों देशों के बीच के संबंध और खराब हो जाते हैं।
पाकिस्तान की मौजूदा स्थिति में चीन का प्रभाव भी महत्वपूर्ण है। पाकिस्तान चीन को यह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि वह अपने क्षेत्र में चीनी नागरिकों और उनके हितों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) पाकिस्तान के लिए एक बड़ा प्रोजेक्ट है, जिसमें चीन ने भारी निवेश किया है। लेकिन टीटीपी ने इस परियोजना और चीनी नागरिकों पर बार-बार हमले किए हैं। पाकिस्तान अफगानिस्तान पर एयर स्ट्राइक करके चीन को यह भरोसा दिलाने की कोशिश कर रहा है कि वह इन खतरों से निपटने में सक्षम है। लेकिन अफगानिस्तान ने इसे एक दिखावा करार दिया है और पाकिस्तान को कठघरे में खड़ा किया है।
टीटीपी का गठन 2007 में हुआ, जब कई आतंकी गुटों ने मिलकर इसे बनाया। इसकी जड़ें 2001 में अमेरिका द्वारा तालिबान को सत्ता से हटाने के बाद से हैं। पाकिस्तान ने उस समय आतंकवादियों को निशाना बनाने के लिए कई ऑपरेशन किए, लेकिन इसका परिणाम यह हुआ कि यह गुट पाकिस्तान के खिलाफ ही खड़ा हो गया। आज टीटीपी पाकिस्तान के लिए एक बड़ा सिरदर्द है, जो न केवल सुरक्षा बलों को निशाना बना रहा है, बल्कि चीनी नागरिकों पर भी हमले कर रहा है। टीटीपी को पाकिस्तान तालिबान भी कहा जाता है, और यह तालिबान के समर्थन में कार्य करता है।
पाकिस्तान की मौजूदा स्थिति भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मौका हो सकती है। भारत के लिए यह समय अनुकूल हो सकता है कि वह पीओके (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) को वापस लेने की योजना बनाए। पाकिस्तान इस समय अफगानिस्तान और टीटीपी से निपटने में उलझा हुआ है, और चीन ताइवान को लेकर व्यस्त है। ऐसी स्थिति में भारत को रणनीतिक रूप से सही कदम उठाने की जरूरत है।
इस पूरे घटनाक्रम में यह साफ है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच का तनाव केवल सीमाओं तक सीमित नहीं है। यह वैश्विक राजनीति और बड़े देशों के हितों से भी जुड़ा हुआ है। इस तनाव का असर न केवल इन दोनों देशों पर बल्कि पूरे दक्षिण एशिया पर हो सकता है। आने वाले समय में इस क्षेत्र में स्थिरता कैसे कायम होगी, यह देखना महत्वपूर्ण होगा।