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मध्य प्रदेश में सौर और हरित ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से प्रगति हो रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सौर और हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के संकल्प को प्रदेश ने गंभीरता से लिया है और इसी दिशा में राज्य ने उल्लेखनीय कदम उठाए हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रदेश ऊर्जा की स्वच्छ और हरित विकल्पों को अपनाने के लिए प्रतिबद्ध है। ऊर्जा के क्षेत्र में विकास को देखते हुए यह स्पष्ट है कि आने वाले समय में सौर ऊर्जा अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण केंद्र बनेगी।
डॉ. यादव ने बताया कि मध्य प्रदेश ने नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में पिछले 12 वर्षों में 14 गुना वृद्धि की है। वर्तमान में राज्य की कुल नवकरणीय ऊर्जा क्षमता लगभग 7000 मेगावाट तक पहुंच गई है, जो राज्य की कुल ऊर्जा क्षमता का लगभग 21 प्रतिशत है। यह न केवल प्रदेश के विकास के लिए उपयोगी है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से भी एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि यह ऊर्जा न केवल प्रदेश के उद्योगों और नागरिकों को सस्ती बिजली उपलब्ध कराएगी, बल्कि कार्बन उत्सर्जन में भी बड़ी कमी लाएगी।
नीमच सौर परियोजना की निविदा प्रक्रिया के परिणामों पर उन्होंने कहा कि इस परियोजना से 170 मेगावाट क्षमता की यूनिट 3 के लिए न्यूनतम टैरिफ दर 2 रुपये 15 पैसे प्रति यूनिट प्राप्त हुई है। यह दर अब तक की सबसे कम है और यह दर्शाती है कि मध्य प्रदेश सौर ऊर्जा के क्षेत्र में कितनी तेजी से प्रगति कर रहा है। नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री राकेश शुक्ला ने बताया कि इस निविदा में 10 विकासकों ने भाग लिया और ई-रिवर्स ऑक्शन प्रक्रिया के माध्यम से यह दर प्राप्त हुई। यह दर देश के अन्य संस्थानों द्वारा जारी निविदाओं की तुलना में भी काफी कम है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नीमच सौर परियोजना के माध्यम से राज्य में लगभग 800 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित होगा। इसके अलावा, परियोजना के निर्माण और संचालन के दौरान प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के कई अवसर उत्पन्न होंगे। इस परियोजना के संचालन से समतुल्य तापीय विद्युत् की तुलना में प्रति वर्ष लगभग 3.34 लाख टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। यह पर्यावरण के लिए एक बड़ी उपलब्धि है और राज्य की हरित ऊर्जा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
डॉ. यादव ने कहा कि मध्य प्रदेश ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में कई नवाचार किए हैं। रीवा सौर परियोजना इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह परियोजना न केवल राज्य को सस्ती बिजली उपलब्ध कराती है, बल्कि दिल्ली मेट्रो जैसी महत्वपूर्ण संस्थाओं को भी बिजली की आपूर्ति करती है। इस परियोजना ने देश में पहली बार कोयले से बनने वाली बिजली की तुलना में कम दर पर सौर ऊर्जा प्रदान की है। इसके अलावा, ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट भी राज्य की नवाचार क्षमता को दर्शाता है। अक्टूबर 2024 में 278 मेगावाट की क्षमता के साथ इस परियोजना को कमीशन किया गया है, जो विश्व की सबसे बड़ी फ्लोटिंग सौर परियोजनाओं में से एक है।
नवीन ऊर्जा मंत्री ने बताया कि प्रदेश ने ई-रिवर्स ऑक्शन प्रक्रिया के माध्यम से न्यूनतम टैरिफ दर प्राप्त की है। यह दर केंद्र सरकार द्वारा अप्रैल 2024 से ALMM (Approved List of Models and Manufacturers) की बाध्यता लागू करने के बाद संपन्न निविदाओं में सबसे कम है। यह इस बात का प्रमाण है कि मध्य प्रदेश नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
डॉ. यादव ने कहा कि राज्य की नई सौर परियोजनाएं भारतीय रेलवे को भी बिजली की आपूर्ति करेंगी, जिससे देश के विकास में भी योगदान मिलेगा। उन्होंने कहा कि नीमच परियोजना से प्राप्त परिणाम यह दर्शाते हैं कि राज्य ने नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में अपनी दक्षता और प्रतिस्पर्धा को साबित किया है। इसके माध्यम से आम उपभोक्ताओं और किसानों को सस्ती बिजली उपलब्ध कराने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं।
रीवा सौर परियोजना से प्राप्त अनुभवों ने राज्य को सौर ऊर्जा में नए आयाम छूने का अवसर दिया है। डॉ. यादव ने इस बात पर जोर दिया कि प्रदेश ने सौर ऊर्जा को न केवल ऊर्जा स्रोत के रूप में देखा है, बल्कि इसे निवेश और रोजगार सृजन के साधन के रूप में भी अपनाया है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इस क्षेत्र में और अधिक परियोजनाएं लाने के लिए प्रतिबद्ध है।
प्रदेश ने नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में अपने अनुभव और कौशल का उपयोग करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सब राज्य सरकार की दूरदर्शिता और केंद्र सरकार के मार्गदर्शन के बिना संभव नहीं हो पाता। उन्होंने कहा कि यह कदम न केवल प्रदेश के विकास को गति देगा, बल्कि पर्यावरण को संरक्षित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
डॉ. यादव ने आगे कहा कि राज्य की रणनीतियां सौर ऊर्जा के क्षेत्र में आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करेंगी। उन्होंने कहा कि सरकार न केवल परियोजनाओं को सफलतापूर्वक लागू करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है, बल्कि यह सुनिश्चित करने का भी प्रयास कर रही है कि इस प्रक्रिया से स्थानीय समुदायों को अधिकतम लाभ मिले।
मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि हरित और स्वच्छ ऊर्जा न केवल पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी सुदृढ़ करेगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सौर ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। नीमच सौर परियोजना इसका एक और उदाहरण है।
नवीन ऊर्जा मंत्री राकेश शुक्ला ने कहा कि राज्य की नई निविदा प्रक्रिया ने यह साबित कर दिया है कि सौर ऊर्जा के क्षेत्र में मध्य प्रदेश की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि सौर ऊर्जा न केवल सस्ती हो, बल्कि हर वर्ग के लिए सुलभ भी हो।
प्रदेश सरकार के इन प्रयासों से यह स्पष्ट है कि मध्य प्रदेश सौर और हरित ऊर्जा के क्षेत्र में एक अग्रणी राज्य बनकर उभर रहा है। यह न केवल प्रदेश के नागरिकों के लिए लाभकारी है, बल्कि पर्यावरण के संरक्षण और देश के विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।