Indians Rule America |
भारत में और दुनिया भर में इमिग्रेशन (आप्रवासन) और एंटी-इमिग्रेशन सेंटिमेंट (भावनाएँ) पर चर्चा अक्सर होती है। अमेरिका जैसे विकसित देशों में यह मुद्दा अत्यधिक महत्वपूर्ण हो जाता है, जहाँ 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' जैसे नारे और डोनाल्ड ट्रंप जैसे नेताओं ने इस भावना को और तेज कर दिया है। इस परिप्रेक्ष्य में, भारतीयों के योगदान और अमेरिका में उनके बढ़ते प्रभाव को अनदेखा करना कठिन है। भारत के कुशल पेशेवर, इंजीनियर, डॉक्टर, टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट और अन्य क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखने वाले लोग आज अमेरिका की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। लेकिन, अमेरिका में बढ़ती नस्लीय भेदभाव और जेनोफोबिया (विदेशियों से डर) जैसी समस्याएँ एक गंभीर चुनौती बनी हुई हैं।
अमेरिका के इतिहास को देखें तो यह मूल निवासियों के अधिकारों की उपेक्षा और यूरोपियनों की हावी सोच से भरा पड़ा है। अमेरिका की स्थापना में विदेशियों की भूमिका तो रही है, लेकिन अब वहाँ का समाज खुद को 'नेटिव्स' कहकर दूसरों के अधिकारों को सीमित करने की ओर अग्रसर है। भारतीय, जिनकी योग्यता और कड़ी मेहनत ने अमेरिका को एक नई दिशा दी, अब इन्हीं मुद्दों का सामना कर रहे हैं।
अमेरिकी समाज में भारतीयों का योगदान कई स्तरों पर स्पष्ट है। सुंदर पिचाई, सत्य नडेला, अजय बंगा और कमला हैरिस जैसे भारतीय मूल के व्यक्ति न केवल उच्च पदों पर कार्यरत हैं बल्कि भारत का नाम रोशन कर रहे हैं। आज, टेक्नोलॉजी क्षेत्र से लेकर स्वास्थ्य और शिक्षा तक, भारतीय अमेरिकन अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण अंग बन चुके हैं। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, एडोबी जैसी कंपनियों के प्रमुख भारतीय हैं। अमेरिका के विश्वविद्यालयों में सबसे अधिक विदेशी छात्र भारतीय हैं, जो यह दर्शाता है कि भारत से आने वाला युवा अमेरिका की प्रगति में कितना महत्वपूर्ण है।
इमिग्रेशन की बात करें तो अमेरिका में भारतीय केवल एक आर्थिक शक्ति नहीं हैं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी उनकी उपस्थिति मजबूत है। इंडियन कम्युनिटी ने अपने बलबूते पर व्यवसाय और रोजगार के क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलता पाई है। भारतीय मूल के लोग टेक स्टार्टअप्स से लेकर बड़े-बड़े रेस्टोरेंट्स तक, हर क्षेत्र में अग्रणी हैं। अमेरिका की 'सॉफ्ट पावर' का एक बड़ा हिस्सा भारतीय संस्कृति और योग्यता पर आधारित है।
हालांकि, भारतीयों को अमेरिका में नस्लीय भेदभाव और असमानता का भी सामना करना पड़ता है। ट्रंप प्रशासन के तहत एंटी-इमिग्रेशन नीतियाँ और हेट क्राइम्स में बढ़ोतरी इस समस्या को और गहरा बनाती हैं। यही नहीं, कई बार भारतीय समुदाय को निशाना बनाकर 'स्किल्ड इमिग्रेशन' के मुद्दे पर सवाल उठाए जाते हैं। भारत सरकार के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि वह इन समस्याओं से निपटने के लिए ठोस रणनीति बनाए।
प्रधानमंत्री मोदी के पास डोनाल्ड ट्रंप जैसे नेताओं के साथ व्यक्तिगत अच्छे संबंध हैं, लेकिन इसके अलावा एक समर्पित इमिग्रेशन मंत्री की नियुक्ति आवश्यक है। यह मंत्री भारतीय समुदाय के मुद्दों को सही मंच पर ले जाकर उनका समाधान निकालने में मदद कर सकता है। साथ ही, भारत को यह दिखाने की जरूरत है कि भारतीय प्रवासी अमेरिका की अर्थव्यवस्था के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं।
अमेरिका में भारतीय समुदाय की उच्च शिक्षा और आर्थिक सफलता के आँकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि भारतीय न केवल अमेरिका की जरूरत हैं, बल्कि उसकी प्रगति का महत्वपूर्ण हिस्सा भी हैं। भारतीय डॉक्टर, इंजीनियर, नर्स, और टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स वहाँ के सबसे भरोसेमंद और मेहनती कार्यबल में शामिल हैं। 'ब्रेन ड्रेन' के बावजूद, भारत को अपने इस वैश्विक योगदान का गर्व होना चाहिए।
आज अमेरिका और अन्य विकसित देशों में एंटी-इमिग्रेशन भावना को खत्म करने के लिए भारत को अपने कुशल श्रमिकों और प्रवासियों के महत्व को प्रमुखता से सामने रखना चाहिए। भारतीय सरकार को स्किल-बेस्ड इमिग्रेशन प्रस्तावों को आगे बढ़ाना चाहिए ताकि भारतीयों को सम्मानजनक स्थान मिल सके। भारतीय समुदाय की एकता, उनकी मेहनत और उनके समर्पण को दुनिया भर में पहचान दिलाने का यह सबसे उपयुक्त समय है।
अमेरिका जैसे देशों में भारतीयों का बढ़ता प्रभाव और उनका योगदान एक प्रेरणा है, लेकिन इसके साथ ही चुनौतियाँ भी हैं। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए सामरिक और संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाना होगा ताकि भारत और भारतीय प्रवासी अपनी पहचान और योग्यता को सुरक्षित रखते हुए प्रगति के पथ पर आगे बढ़ सकें।