Donald Trump’s Shocking Role |
डोनाल्ड ट्रंप और इमरान खान के इर्द-गिर्द चल रही हालिया घटनाओं ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। पाकिस्तान में चल रहे अस्थिर राजनीतिक हालात और इमरान खान की जेल में मौजूदगी ने देश की राजनीति को एक कठिन दौर में डाल दिया है। इमरान खान, जो पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और क्रिकेट कप्तान रहे हैं, फिलहाल जेल में हैं। उनके ऊपर भ्रष्टाचार और अन्य आरोप लगे हैं, जिनके चलते उन्हें कैद किया गया है। इन परिस्थितियों में डोनाल्ड ट्रंप के विशेष दूत रिचर्ड ग्रेनल ने यह बयान देकर हलचल मचा दी कि वह इमरान खान को जेल से रिहा होते देखना चाहते हैं। यह बयान पाकिस्तान और अमेरिका के संबंधों को लेकर नई अटकलें पैदा कर रहा है।
डोनाल्ड ट्रंप और इमरान खान के संबंधों को इतिहास के संदर्भ में देखा जाए तो यह स्पष्ट है कि दोनों के बीच हमेशा अच्छे रिश्ते रहे हैं। जब ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति थे और इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री, तब दोनों देशों के बीच संबंध अपेक्षाकृत बेहतर थे। इमरान खान ने अपने कार्यकाल के दौरान कई बार अमेरिका पर आरोप लगाए, खासकर जब उनकी सत्ता समाप्त हुई। उनका मानना था कि उनकी सरकार गिराने में अमेरिका का हाथ था। इन आरोपों ने दोनों देशों के रिश्तों में तनाव ला दिया।
डोनाल्ड ट्रंप की संभावित वापसी और उनके दूत रिचर्ड ग्रेनल के बयान के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि अमेरिका पाकिस्तान में नई राजनीतिक दिशा तैयार कर सकता है। यह संभावना जताई जा रही है कि अमेरिका इमरान खान की रिहाई और उनकी सत्ता में वापसी के लिए दबाव डाल सकता है। पाकिस्तान की मौजूदा सरकार और सेना, जो पहले से ही संकटग्रस्त हैं, इस स्थिति से और भी अधिक दबाव में आ सकती हैं। पाकिस्तान की सेना और अमेरिका के बीच हमेशा से एक विशेष रिश्ता रहा है। इस रिश्ते का उपयोग कर अमेरिका पाकिस्तान में अपनी रणनीतिक स्थिति को मजबूत कर सकता है।
पाकिस्तान में इमरान खान की लोकप्रियता किसी से छिपी नहीं है। जनता का एक बड़ा वर्ग उनके साथ खड़ा है। उनकी छवि एक बाहरी (outsider) नेता की है, जो पारंपरिक राजनीति से हटकर नई दिशा देने का दावा करते हैं। उनकी पार्टी, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ, ने हाल ही में सिविल डिसओबेडिएंस (सिविल अवज्ञा) की धमकी दी थी, जिससे मौजूदा सरकार और शहबाज शरीफ को बातचीत की मेज पर आने के लिए मजबूर होना पड़ा। हालांकि, इमरान खान की पार्टी ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है, जिससे उनकी रणनीति पर सवाल उठने लगे हैं।
डोनाल्ड ट्रंप की संभावित वापसी और इमरान खान की रिहाई के बीच, पाकिस्तान की मौजूदा सरकार की स्थिति कमजोर नजर आ रही है। शहबाज शरीफ सरकार पर आर्थिक संकट और अमेरिका के साथ खराब संबंधों का दबाव है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था, जो पहले से ही IMF और वर्ल्ड बैंक के कर्ज पर निर्भर है, अमेरिका की ओर से संभावित वित्तीय सहायता के बिना पूरी तरह ठप हो सकती है। अमेरिका का पाकिस्तान से हमेशा से रणनीतिक हित रहा है, खासकर अफगानिस्तान और चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए।
यह भी स्पष्ट है कि अमेरिका पाकिस्तान में लोकतंत्र को बनाए रखने की दिशा में काम करना चाहता है, लेकिन इसके पीछे भी उसके अपने व्यावसायिक और रणनीतिक हित छिपे हो सकते हैं। पाकिस्तान में स्थिरता अमेरिका के लिए भी जरूरी है, क्योंकि एक अस्थिर पाकिस्तान पूरे दक्षिण एशिया को अस्थिर कर सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या डोनाल्ड ट्रंप के दूत रिचर्ड ग्रेनल की बयानबाजी केवल शब्दों तक सीमित रहती है या इसके पीछे कोई ठोस रणनीति छिपी है।
इमरान खान की रिहाई और उनकी सत्ता में वापसी के मामले में जनता की भूमिका को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यदि इमरान खान को जनता का समर्थन मिलता है और वह सत्ता में वापस आते हैं, तो यह पाकिस्तान की राजनीति के लिए एक बड़ा बदलाव होगा। हालांकि, यह भी संभव है कि इमरान खान, यदि अमेरिकी दबाव में रिहा होते हैं, तो वह अमेरिकी हितों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाएं। इससे उनके विरोधी उन्हें अमेरिकी कठपुतली के रूप में पेश करने का प्रयास कर सकते हैं।
अंततः, डोनाल्ड ट्रंप और इमरान खान के बीच के संबंध, अमेरिका और पाकिस्तान की राजनीति पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं। पाकिस्तान के लिए यह समय कठिन है, और आने वाले दिनों में स्थिति और जटिल हो सकती है। इमरान खान की रिहाई और उनकी संभावित सत्ता में वापसी के साथ, यह देखना होगा कि पाकिस्तान के लोग और उसकी राजनीति किस दिशा में आगे बढ़ते हैं।