Delhi's AAP Schemes: योजना पर बवाल!

NCI

Delhi's AAP Schemes

दिल्ली की राजनीति एक बार फिर गरम है, खासकर जब बात आम आदमी पार्टी (AAP) की नई योजनाओं और उन पर हो रहे विवादों की हो। आम आदमी पार्टी ने आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए महिलाओं और बुजुर्गों के लिए दो नई योजनाओं का ऐलान किया है। ये योजनाएँ हैं "मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना" और "संजीवनी योजना"। इन योजनाओं के तहत पात्र महिलाओं को दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता और बुजुर्गों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं देने की बात कही गई है। लेकिन यह मामला तब गंभीर हो गया जब दिल्ली सरकार के ही दो विभागों—महिला और बाल विकास विभाग और स्वास्थ्य विभाग—ने इन योजनाओं से अपना पल्ला झाड़ते हुए सार्वजनिक नोटिस जारी कर दिया।

इन विभागों का कहना है कि ये योजनाएँ उनकी जानकारी और अनुमति के बिना घोषित की गई हैं। महिला और बाल विकास विभाग ने कहा कि "मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना" में लोगों का व्यक्तिगत डेटा, जैसे बैंक खाता, वोटर आईडी और पता इकट्ठा किया जा रहा है, जिसे साइबर अपराधों (cyber crimes) के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इसी प्रकार स्वास्थ्य विभाग ने "संजीवनी योजना" से खुद को अलग करते हुए कहा कि ऐसी कोई योजना अस्तित्व में ही नहीं है। इन बयानों के बाद दिल्ली की सियासत में हड़कंप मच गया।

आम आदमी पार्टी ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए दावा किया है कि ये योजनाएँ पूरी तरह वैध हैं और जनता की भलाई के लिए बनाई गई हैं। दिल्ली की नई मुख्यमंत्री आतिशी ने इन विभागीय नोटिसों को केंद्र सरकार के दबाव का नतीजा बताया और कहा कि संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि महिला सम्मान योजना को पहले ही अधिसूचित (notified) किया जा चुका है और यह पार्टी का चुनावी वादा है, जिसे लागू किया जाएगा।

यह विवाद दिल्ली की प्रशासनिक जटिलताओं की ओर भी इशारा करता है। दिल्ली में शासन तीन स्तरों पर होता है—केंद्र सरकार, निर्वाचित राज्य सरकार और नगर निगम। आम आदमी पार्टी का आरोप है कि केंद्र सरकार के दबाव में दिल्ली के अधिकारी उनकी योजनाओं में अड़चनें डालते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पहले एक फैसले में दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया था कि राज्य सरकार के फैसलों पर उसकी पूरी स्वायत्तता होगी। लेकिन केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश (ordinance) लाकर इस फैसले को पलट दिया, जिससे AAP और केंद्र के बीच तनाव और बढ़ गया।

बीजेपी और कांग्रेस ने इस विवाद को लेकर आम आदमी पार्टी पर जमकर निशाना साधा है। बीजेपी का कहना है कि ये योजनाएँ जनता को गुमराह करने और डिजिटल धोखाधड़ी (fraud) के जरिए व्यक्तिगत डेटा इकट्ठा करने की साजिश है। वहीं, कांग्रेस ने इन्हें खोखले वादे बताते हुए कहा कि बिना वित्त विभाग की मंजूरी के पैसा जारी करना असंभव है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह सब राजनीतिक लाभ के लिए किया जा रहा है।

आम आदमी पार्टी ने अपनी योजनाओं का बचाव करते हुए कहा है कि इन योजनाओं को जनता का भारी समर्थन मिल रहा है। पार्टी के अनुसार, अब तक 1.3 मिलियन लोग "मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना" के लिए पंजीकरण कर चुके हैं। पार्टी ने 70 विधानसभा क्षेत्रों में 3000 कैंप और डोर-टू-डोर प्रचार अभियान चलाकर इन योजनाओं को प्रचारित किया है।

इस विवाद का असर आगामी 2025 के चुनावों पर पड़ सकता है। आम आदमी पार्टी इन योजनाओं को अपनी चुनावी गारंटी बता रही है, जबकि विपक्षी दल इसे झूठ और धोखाधड़ी का प्रतीक कह रहे हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि दिल्ली की जनता इन विवादित योजनाओं को किस नजर से देखती है और इसका चुनावी परिणाम क्या होता है।

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