Social Media |
सोशल मीडिया का उपयोग आजकल हर व्यक्ति की दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है। लेकिन इस माध्यम का गलत इस्तेमाल किस हद तक गंभीर परिणाम ला सकता है, यह अब समझा जा रहा है। पुलिस ने गुंडागर्दी और अपराधों को बढ़ावा देने वाले सोशल मीडिया कंटेंट पर सख्त रुख अपनाना शुरू कर दिया है। शहर में अपराधियों द्वारा अपने दबदबे को दिखाने और दहशत फैलाने के उद्देश्य से रील और वीडियो बनाकर फेसबुक और इंस्टाग्राम पर पोस्ट करना एक नया चलन बन गया है। इन पोस्ट्स पर उनके फॉलोवर्स द्वारा किए गए लाइक्स और कमेंट्स से उनकी हौसला-अफजाई होती है। इस चलन को रोकने के लिए पुलिस ने अब ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है।
शहर की पुलिस ने हाल ही में 100 से अधिक अपराधियों की प्रोफाइलिंग की है। इन अपराधियों में वे लोग शामिल हैं, जो हथियारों का प्रदर्शन करते हुए, नशे की हालत में या आपत्तिजनक गतिविधियों के दौरान वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड करते हैं। पुलिस के मुताबिक, सोशल मीडिया पर इस तरह के अपराधियों को लाइक या कमेंट करना भी अब अपराध की श्रेणी में आ सकता है। पुलिस ने साफ कर दिया है कि इन गतिविधियों को बढ़ावा देने वालों के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
डीसीपी ने बताया कि जैसे-जैसे इंटरनेट और सोशल मीडिया का चलन बढ़ा, अपराधियों ने इसका उपयोग स्वयं का प्रमोशन करने के लिए करना शुरू कर दिया। वे अपने डरावने और खतरनाक व्यक्तित्व को दिखाने के लिए न केवल वीडियो बनाते हैं, बल्कि हथियारों और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों का प्रदर्शन भी करते हैं। कई अपराधियों ने अपने जन्मदिन जैसे खास अवसरों पर भी हथियारों से केक काटने के वीडियो अपलोड किए। ऐसे वीडियो को देखकर उनके फॉलोवर्स लाइक और कमेंट करते हैं, जिससे उनका आत्मविश्वास और बढ़ जाता है। पुलिस की साइबर टीम अब ऐसे लोगों की पहचान कर रही है और उनके खिलाफ आवश्यक कदम उठा रही है।
एक हालिया उदाहरण में, मल्हारगंज थाना क्षेत्र से कुख्यात बदमाश अमन चिकना को पकड़ा गया। वह सोशल मीडिया पर अपने हजारों फॉलोवर्स के कारण काफी चर्चित था। अमन सोशल मीडिया का उपयोग अपनी ‘मार्केटिंग’ के लिए करता था और रील बनाकर खुद को एक प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में पेश करता था। पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी के बाद उसका जुलूस निकाला और उसे गिड़गिड़ाने पर मजबूर किया। इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिस पर लोगों ने तरह-तरह के कमेंट्स किए। पुलिस ने अमन के सोशल मीडिया अकाउंट की जांच की और ऐसे 54 लोगों को चिह्नित किया, जो आपराधिक गतिविधियों में शामिल थे और अमन को सोशल मीडिया पर प्रमोट कर रहे थे।
आयुक्त कार्यालय में हुई एक बैठक में निर्देश दिया गया कि अपराधियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए उनके सोशल मीडिया अकाउंट की भी जांच की जाए। जिन वीडियो और पोस्ट्स को लोग लाइक, कमेंट या शेयर कर रहे हैं, वे भी जांच के दायरे में आएंगे। ऐसे लोगों को पकड़ा जाएगा, जो किसी भी तरह से आपत्तिजनक कंटेंट को बढ़ावा देने में शामिल पाए जाएंगे। पुलिस अब अपराधियों के परिवार, रिश्तेदारों, वकीलों, मददगारों और जमानतदारों की भी जांच कर रही है। इसके साथ ही, फरारी के दौरान उनके ठिकानों और आय के स्त्रोतों पर भी ध्यान दिया जा रहा है।
पुलिस ने अपराधियों की डोजियर (अपराध संबंधी फाइल) को अपडेट करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। इस प्रक्रिया में उनके सोशल मीडिया फ्रेंड्स की सूची को शामिल किया जाएगा। इसके साथ ही, वे कौन लोग हैं, जो उनके वीडियो बनाकर अपलोड करते हैं, उनकी भी पहचान की जाएगी और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। पुलिस का मानना है कि इस प्रकार की सख्ती से अपराधियों और उनके सहयोगियों के मन में भय पैदा किया जा सकता है।
शहर के पुलिस आयुक्त ने यह भी निर्देश दिया है कि जिन मामलों में नाबालिग अपराधी शामिल होते हैं, उनकी काउंसलिंग (परामर्श) के लिए विशेष सेल बनाई जाए। इस कार्य में एनजीओ (गैर-सरकारी संगठन) की मदद ली जाएगी, ताकि नाबालिगों को अपराध की दुनिया से बाहर निकाला जा सके। लगातार अपराध करने वाले नाबालिगों के अभिभावकों को भी इस प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा और उन्हें उनके बच्चों के व्यवहार के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
गुंडा विरोधी अभियान के तहत पुलिस ने एक अनूठी पहल शुरू की है। शहर के विभिन्न थानों में सक्रिय अपराधियों को बुलाया गया और उनसे पूछताछ की गई। उनके आय के स्त्रोत, मददगारों और आपराधिक गतिविधियों के बारे में जानकारी ली गई। गांधीनगर पुलिस ने इस प्रक्रिया को और प्रभावी बनाने के लिए आरोपितों से पंजाबी, हिंदी और उर्दू में शपथ दिलवाई। यह शपथ गुंडागर्दी छोड़ने और सही रास्ते पर चलने के लिए दिलाई गई। आरोपितों को उठक-बैठक करवाकर अपनी गलतियों का एहसास कराया गया और अंत में उनसे ‘जय हिंद’ का नारा लगवाया गया।
पुलिस का मानना है कि सोशल मीडिया पर बढ़ती अपराधियों की सक्रियता को रोकने के लिए यह कदम जरूरी है। इस तरह की गतिविधियां न केवल समाज में डर और असुरक्षा का माहौल पैदा करती हैं, बल्कि युवाओं को गलत रास्ते पर भी ले जाती हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए पुलिस अब हर उस पहलू की जांच कर रही है, जो अपराध को बढ़ावा दे सकता है। चाहे वह अपराधियों के फॉलोवर्स हों, उनकी पोस्ट्स पर कमेंट करने वाले हों या वीडियो बनाने वाले हों, सभी को कानून के दायरे में लाया जाएगा।
इस पूरे अभियान का उद्देश्य समाज में शांति और सुरक्षा का माहौल बनाना है। अपराधियों को यह संदेश देना है कि चाहे वे सोशल मीडिया का कितना भी उपयोग कर लें, कानून की नजरों से बचना अब संभव नहीं है। पुलिस की यह रणनीति न केवल अपराधियों पर लगाम लगाने में मदद करेगी, बल्कि उनके सहयोगियों और समर्थकों को भी सावधान करेगी।
समाज को बेहतर बनाने के लिए यह कदम एक उदाहरण साबित हो सकता है, जिसमें तकनीकी साधनों का उपयोग अपराध को रोकने और अपराधियों को सजा दिलाने के लिए किया जा रहा है। पुलिस का यह प्रयास उन लोगों के लिए एक चेतावनी है, जो सोचते हैं कि सोशल मीडिया पर लाइक्स और कमेंट्स से अपराधियों का समर्थन करना सामान्य बात है। कानून की नजर में यह भी एक गंभीर अपराध है और इसके लिए सजा मिल सकती है।