Bhopal Science Fair |
चार दिवसीय 11वें भोपाल विज्ञान मेले का समापन सोमवार देर शाम हुआ, जिसमें विज्ञान के क्षेत्र में जागरूकता बढ़ाने और नवाचार को प्रेरित करने पर विशेष जोर दिया गया। इस मेले ने छात्रों, शिक्षकों और दर्शकों को विज्ञान के महत्व और उसकी रोजमर्रा की जिंदगी में उपयोगिता को समझाने का एक बेहतरीन अवसर प्रदान किया। कार्यक्रम में 150 से अधिक वैज्ञानिक मॉडलों का प्रदर्शन किया गया, जिसमें छात्रों ने अपनी रचनात्मकता, तकनीकी दक्षता और नवीन सोच का परिचय दिया। इनमें आईईएस पब्लिक स्कूल, सागर पब्लिक स्कूल, कार्मेल कॉन्वेंट गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल, सीएम राइज स्कूल, आईंटीआई और कॉर्पोरेट इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों ने हिस्सा लिया। इन मॉडलों ने वैज्ञानिक समस्याओं और उनके समाधान को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया।
मेले में उपस्थित परमाणु वैज्ञानिक डॉ. अरुण कुमार नायक ने कहा कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए परमाणु ऊर्जा का उपयोग बेहद आवश्यक है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ऊर्जा (energy) वह आधार है, जिस पर भविष्य का विकास टिका हुआ है। उन्होंने कहा कि बढ़ती जनसंख्या के साथ-साथ संसाधनों और ऊर्जा की आवश्यकता भी तेजी से बढ़ रही है। इस संदर्भ में, परमाणु ऊर्जा न केवल सुरक्षित है, बल्कि यह हमारी ऊर्जा की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने में भी सक्षम है। डॉ. नायक ने परमाणु ऊर्जा से जुड़े भ्रांतियों को दूर करने पर भी जोर दिया और इसे स्वच्छ और स्थिर ऊर्जा स्रोत के रूप में प्रस्तुत किया।
डॉ. नायक ने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि यदि हम ऊर्जा संसाधनों का उचित उपयोग करें और नवाचार (innovation) के साथ आगे बढ़ें, तो भारत अगले 25 वर्षों में विश्व का अग्रणी राष्ट्र बन सकता है। उन्होंने छात्रों से विज्ञान और प्रौद्योगिकी (technology) के क्षेत्र में गहरी रुचि लेने और शोध कार्यों में सक्रिय भागीदारी करने का आह्वान किया। उन्होंने देश में निर्मित वस्तुओं के उपयोग पर बल देते हुए कहा कि इससे हमारी अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और आत्मनिर्भरता (self-reliance) की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।
कार्यक्रम में अखिल भारतीय संगठन विज्ञान भारती के डॉ. शिव कुमार शर्मा ने छात्रों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन में सफलता पाने के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण (scientific approach) और स्पष्ट विजन (vision) होना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने छात्रों की वैज्ञानिक जिज्ञासाओं को बढ़ावा देने और शिक्षकों की भूमिका पर प्रकाश डाला। डॉ. शर्मा ने कहा कि एक शिक्षक का दायित्व है कि वह छात्रों को प्रेरित करे और उनकी जिज्ञासाओं का समाधान करे। उन्होंने महाभारत के उदाहरण का उपयोग करते हुए कहा कि यदि छात्र पार्थ (अर्जुन) की तरह प्रयास करें और शिक्षक कृष्ण की तरह मार्गदर्शन दें, तो जीवन को सार्थक और सफल बनाया जा सकता है।
कार्यक्रम के दौरान मध्य प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के महानिदेशक डॉ. अनिल कोठारी, विज्ञान भारती के सह सचिव डॉ. धीरेन्द्र स्वामी, अध्यक्ष डॉ. अमोघ गुप्ता और सचिव संजय कौरव जैसे गणमान्य व्यक्तियों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। डॉ. स्वामी ने चार दिवसीय मेले की रिपोर्ट प्रस्तुत की और इसके सफल आयोजन के लिए सभी को धन्यवाद दिया।
डॉ. अरुण कुमार नायक ने अपने संबोधन में बताया कि भारत को स्वच्छ और आत्मनिर्भर ऊर्जा स्रोतों की ओर अग्रसर करने के लिए परमाणु ऊर्जा का उपयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में स्थान पाने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी का योगदान अनिवार्य है। ऊर्जा के बिना विकास संभव नहीं है और परमाणु ऊर्जा हमारे लिए सुरक्षित एवं प्रभावशाली विकल्प है। उन्होंने ऊर्जा के महत्व को विस्तार से समझाया और यह भी बताया कि विकिरण (radiation) को लेकर समाज में फैली भ्रांतियां निराधार हैं।
इस अवसर पर, चार दिवसीय विज्ञान मेले में छात्रों ने अपनी रचनात्मकता का परिचय देते हुए ऐसे मॉडल प्रस्तुत किए, जो वैज्ञानिक समस्याओं के प्रभावी समाधान दे सकते हैं। यह मेला एक जागरूकता अभियान था, जिसने छात्रों को विज्ञान के प्रति जिज्ञासा और रुचि बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। इस मेले ने यह साबित कर दिया कि विज्ञान केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारी जिंदगी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
डॉ. नायक ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी का सही उपयोग ही भारत को 2047 तक एक प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्था बना सकता है। उन्होंने छात्रों को ऊर्जा के क्षेत्र में शोध और नवाचार के लिए प्रेरित किया। उनका मानना है कि यदि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को स्वच्छ और आत्मनिर्भर स्रोतों से पूरा करता है, तो यह न केवल पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि देश की आर्थिक स्थिति को भी सुदृढ़ बनाएगा।
कार्यक्रम में, संचालन की जिम्मेदारी डॉ. जीतेन्द्र अग्रवाल और डॉ. प्रदीप सिंगोर ने संभाली। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि कार्यक्रम सुचारू रूप से संचालित हो और सभी वक्ताओं के विचार प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किए जाएं।
यह मेला न केवल छात्रों बल्कि आम जनता के लिए भी प्रेरणादायक था। इसने यह संदेश दिया कि विज्ञान केवल एक विषय नहीं, बल्कि जीवन को बेहतर बनाने का एक माध्यम है। भोपाल विज्ञान मेला आने वाले वर्षों में छात्रों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचने के लिए प्रेरित करता रहेगा और आत्मनिर्भर भारत (self-reliant India) के सपने को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
इस मेले ने यह साबित कर दिया कि वैज्ञानिक जागरूकता और नवाचार (innovation) के माध्यम से ही हम अपने समाज की बुराइयों को दूर कर सकते हैं और देश को प्रगति के पथ पर ले जा सकते हैं। इसने छात्रों, शिक्षकों और वैज्ञानिकों को एक ऐसा मंच दिया, जहां वे अपने विचार साझा कर सकते हैं और विज्ञान के प्रति अपनी समझ को और गहरा बना सकते हैं। यह आयोजन आने वाले समय में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करेगा।