Tiger |
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के कोर जोन के अंतर्गत कल्लवाह रेंज के कक्ष क्रमांक आरएफ 230 में शुक्रवार की सुबह एक दुखद घटना घटी जब गश्ती के दौरान गश्ती दल को एक बाघिन मृत अवस्था में मिली। जैसे ही यह खबर मिली, पूरे रिजर्व का प्रशासनिक अमला मौके पर पहुंच गया। अधिकारियों और डॉक्टरों की टीम ने स्थिति का जायजा लिया। बाघिन के शव का पोस्टमार्टम किया गया और उसके अंगों (organs) का परीक्षण करने के लिए बिसरा सुरक्षित कर लिया गया। देर शाम उच्च अधिकारियों की मौजूदगी में बाघिन का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
सुबह करीब 9 से 10 बजे के बीच गश्ती दल ने सूचना दी कि एक बाघिन मृत पड़ी है। इस सूचना के मिलते ही कल्लवाह रेंजर और अन्य अधिकारी तुरंत घटनास्थल की ओर रवाना हो गए। घटनास्थल पर पहुंचने पर पाया गया कि लगभग 4 से 5 वर्ष की बाघिन बूढ़ाताल हार क्षेत्र में मृत अवस्था में पड़ी हुई थी। घटनास्थल के आसपास जांच की गई तो वहां दूसरे बाघ की उपस्थिति के निशान पाए गए। इससे यह अंदेशा लगाया गया कि यह मौत आपसी संघर्ष का परिणाम हो सकती है। हालांकि, घटना के वास्तविक कारणों का पता पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही चल सकेगा। मैटल डिटेक्टर और डॉग स्क्वाड की मदद से पूरे क्षेत्र की तलाशी ली गई, लेकिन वहां किसी इंसान की मौजूदगी के निशान नहीं मिले।
हाल ही में टाइगर रिजर्व में एक और घटना सामने आई थी, जब एक बाघ के गले में फंदा फंसा पाया गया था। उस घटना ने पूरे प्रबंधन को कई दिनों तक परेशान किया। बाघ को रेस्क्यू (rescue) करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। उस घटना के बाद पार्क प्रबंधन ने राहत की सांस ली ही थी कि अब यह नई घटना सामने आ गई। यह सवाल खड़ा हो रहा है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि कोई शिकारी गिरोह (poaching gang) सक्रिय हो गया है और वन्य जीवों का शिकार करने की कोशिश में लगा है। हालांकि, इस मामले में अभी तक ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं मिला है।
घटनास्थल पर जांच के दौरान यह देखा गया कि बाघिन के शरीर के सभी अंग मौजूद थे। इससे यह संभावना खारिज होती है कि किसी ने शिकार के उद्देश्य से इस घटना को अंजाम दिया हो। पोस्टमार्टम की प्रारंभिक रिपोर्ट से यह संकेत मिला कि बाघिन की मौत आपसी संघर्ष के कारण हुई हो सकती है। लेकिन फिर भी पूरे क्षेत्र को सघनता से खंगाला जा रहा है ताकि किसी भी संभावित सुराग को नजरअंदाज न किया जा सके।
रिजर्व के अधिकारियों ने घटना की गहराई से जांच के लिए कई टीमें लगाई हैं। घटना स्थल पर कोई संदिग्ध गतिविधि या शिकारियों के निशान नहीं मिले हैं। इसके बावजूद, मामले को लेकर सतर्कता बरती जा रही है। इस घटना ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि इन संरक्षित क्षेत्रों में वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए और क्या-क्या कदम उठाए जाने चाहिए।
बांधवगढ़ जैसे प्रमुख टाइगर रिजर्व में इस तरह की घटनाएं अक्सर चिंता का विषय बन जाती हैं। यहां की जैव विविधता और वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन इस तरह की अप्रत्याशित घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि अभी और कड़े कदम उठाने की जरूरत है। बाघिन की मौत के बाद पूरे रिजर्व क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया जा रहा है।
यह घटना न केवल वन्यजीव संरक्षण (wildlife conservation) के लिए एक चुनौती है, बल्कि इन क्षेत्रों में मौजूद प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने की आवश्यकता पर भी जोर देती है। पोस्टमार्टम और अन्य जांचों के बाद ही इस घटना के पीछे की असली वजह सामने आ पाएगी। हालांकि, प्राथमिक जांच में जो तथ्य सामने आए हैं, उनसे यह प्रतीत होता है कि यह मौत स्वाभाविक नहीं है और इसके पीछे कोई बड़ी वजह हो सकती है।
वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में यह घटना एक चेतावनी के रूप में सामने आई है। यह स्पष्ट करता है कि वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए उठाए जा रहे कदम पर्याप्त नहीं हैं। बाघ जैसे संरक्षित और विलुप्तप्राय प्राणियों के लिए ऐसी घटनाएं न केवल उनकी संख्या को प्रभावित करती हैं, बल्कि उनके प्राकृतिक आवास (habitat) पर भी गहरा प्रभाव डालती हैं।
इस घटना ने वन्यजीव प्रेमियों और संरक्षण से जुड़े लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि इन दुर्लभ प्रजातियों की सुरक्षा के लिए और क्या-क्या कदम उठाए जा सकते हैं। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि पोस्टमार्टम और जांच से क्या निष्कर्ष निकलते हैं और क्या यह मामला किसी शिकार गिरोह से जुड़ा हुआ है।