Airplane Safety: पीछे की सीट का सच!

NCI

Airplane Safety

 दुनिया भर में हवाई दुर्घटनाओं की खबरें हमेशा चौंकाने वाली होती हैं, क्योंकि इनमें शामिल जान-माल का नुकसान व्यापक और दिल दहलाने वाला होता है। हाल ही में, दो भयानक हवाई दुर्घटनाओं ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा। एक दुर्घटना अजरबैजान में हुई, जबकि दूसरी साउथ कोरिया में। अजरबैजान की दुर्घटना में, एक यात्री विमान को गलती से रशियन एयर डिफेंस द्वारा निशाना बनाया गया, जिसके परिणामस्वरूप यह विमान क्रैश हो गया। इस विमान में कुल 67 लोग सवार थे, जिनमें से 38 की मृत्यु हो गई। दूसरी ओर, साउथ कोरिया में बोइंग 737 विमान की बैली लैंडिंग के दौरान दुर्घटना हो गई, जिसमें 181 यात्रियों में से 179 की मौत हो गई। दोनों घटनाओं में जीवित बचे लोग विमान के पीछे की सीटों पर बैठे थे, जिसने यह सवाल उठाया कि क्या विमान के पिछले हिस्से में बैठना अधिक सुरक्षित हो सकता है।

इन घटनाओं ने विमान सुरक्षा और यात्रियों के बचाव की संभावनाओं पर एक नई चर्चा शुरू कर दी है। विमान दुर्घटनाओं के डेटा के अनुसार, पिछले 35 वर्षों में जो दुर्घटनाएं हुईं, उनमें पीछे की सीटों पर बैठे यात्रियों के बचने की संभावना अधिक रही है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि विमान जब क्रैश करता है, तो इसका अगला हिस्सा यानी कॉकपिट और फ्रंट रो सबसे ज्यादा प्रभावित होता है। इसके विपरीत, पीछे का हिस्सा, जिसे टेल सेक्शन कहा जाता है, अक्सर कम नुकसान झेलता है। इसका कारण यह है कि विमान के क्रैश करते समय इसकी एरोडायनामिक संरचना (aerodynamic structure) ऐसी होती है कि टेल सेक्शन सबसे आखिर में जमीन से टकराता है, जिससे वहां बैठे यात्रियों के बचने की संभावना बढ़ जाती है।

साउथ कोरिया में हुई हालिया दुर्घटना में, विमान के इंजन में एक पक्षी फंस गया, जिससे उसका रोटर बंद हो गया और इंजन फेल हो गया। लैंडिंग गियर (landing gear) न खुलने के कारण विमान को बैली लैंडिंग करनी पड़ी। बैली लैंडिंग में विमान का निचला हिस्सा सीधे जमीन से टकराता है, जो अक्सर खतरनाक साबित होता है। इस घटना में भी विमान के पीछे की सीटों पर बैठे क्रू मेंबर्स बच गए, जबकि बाकी यात्रियों की जान चली गई। यह एक बार फिर इस बात को मजबूत करता है कि विमान के पिछले हिस्से में बैठना अपेक्षाकृत सुरक्षित हो सकता है।

हवाई यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए, विमान कंपनियां लगातार नई तकनीकों और सुरक्षा उपायों पर काम कर रही हैं। दुर्घटनाओं से सबक लेते हुए, अब विमान डिजाइन में बदलाव पर भी जोर दिया जा रहा है। नए सुरक्षा मानकों में यह सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है कि विमान दुर्घटनाओं के दौरान यात्रियों को अधिकतम सुरक्षा प्रदान की जा सके। विशेषज्ञों का यह भी सुझाव है कि यात्रियों को विमान के इमरजेंसी एग्जिट (emergency exit) के करीब बैठने का प्रयास करना चाहिए, ताकि किसी भी आपात स्थिति में वे जल्दी बाहर निकल सकें।

सुरक्षा के अलावा, इन घटनाओं ने यात्रियों के सीटिंग पैटर्न (seating pattern) को भी प्रभावित किया है। अब यात्री, जो पहले विमान के फ्रंट रो या मिडिल रो को प्राथमिकता देते थे, धीरे-धीरे पीछे की सीटों को तरजीह देने लगे हैं। इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि हालिया दुर्घटनाओं में जीवित बचे अधिकांश लोग विमान के पीछे बैठे थे। आंकड़ों के अनुसार, पीछे की सीटों पर मौत का प्रतिशत 32% है, जबकि फ्रंट रो में यह आंकड़ा 38% तक पहुंच जाता है। इसके विपरीत, मिडिल रो का प्रतिशत 56% के आसपास होता है। इस प्रकार, पीछे की सीटें तुलनात्मक रूप से अधिक सुरक्षित मानी जा सकती हैं।

हालांकि, हवाई दुर्घटनाओं के आंकड़े यह भी बताते हैं कि विमान क्रैश की संभावना अत्यंत कम होती है। हवाई यात्रा अब भी दुनिया की सबसे सुरक्षित यात्रा मानी जाती है। लेकिन जब भी दुर्घटनाएं होती हैं, तो वे बड़े पैमाने पर तबाही मचाती हैं, जो लंबे समय तक याद रखी जाती हैं। इसलिए, विमान सुरक्षा को लेकर किए जा रहे प्रयास और यात्री जागरूकता बढ़ाने की पहल बेहद महत्वपूर्ण हैं।

इन घटनाओं ने एक और महत्वपूर्ण सवाल उठाया है कि क्या विमान के इंजन और लैंडिंग गियर को और भी मजबूत और विश्वसनीय बनाया जा सकता है। पक्षी टकराव (bird strike) जैसे कारणों से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए विशेष तकनीकों का विकास किया जा रहा है। इसके साथ ही, विमान संचालन और रखरखाव को और अधिक कठोर बनाया जा रहा है ताकि संभावित खतरों को पहले से ही टाला जा सके।

आखिरकार, सुरक्षा के सभी उपायों के बावजूद, विमान में यात्रा करते समय यात्रियों को अपनी सुरक्षा को लेकर भी सतर्क रहना चाहिए। सुरक्षा निर्देशों का पालन करना, इमरजेंसी प्रोटोकॉल को समझना और आपातकालीन स्थितियों में शांत रहना, ये सभी बातें किसी भी संभावित खतरे से बचने में मदद कर सकती हैं।

हालिया हवाई दुर्घटनाओं ने जहां एक ओर सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े किए हैं, वहीं दूसरी ओर इनसे सबक लेकर भविष्य में हवाई यात्रा को और सुरक्षित बनाने की दिशा में नए प्रयास किए जा रहे हैं। सुरक्षित यात्रा की ओर यह कदम यात्रियों और विमान कंपनियों दोनों के लिए जरूरी है।

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