4G Connectivity Digital Revolution: जनजातीय गांवों में 4जी का जलवा

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4G Connectivity Digital Revolution

 प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम जन-मन) योजना के तहत राज्य सरकार ने प्रदेश के दूरस्थ पीवीटीजी (विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह) बहुल गांवों और बसाहटों को मोबाइल नेटवर्क से जोड़ने के प्रयासों को गति दी है। इस योजना का उद्देश्य प्रदेश के पिछड़े और दूरस्थ इलाकों में संचार सुविधाएं पहुंचाकर वहां की जनजातीय आबादी को आधुनिक तकनीक और इंटरनेट से जोड़ना है। इससे न केवल इन इलाकों की कनेक्टिविटी में सुधार होगा, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और आपातकालीन सेवाओं को भी सशक्त बनाया जा सकेगा।


राज्य में 180 पीवीटीजी बहुल गांवों और बसाहटों में मोबाइल कनेक्टिविटी स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। अब तक 52 गांवों और बसाहटों में 44 मोबाइल टावर स्थापित किए जा चुके हैं। इसके अतिरिक्त, 50 गांवों में 43 नए 4जी मोबाइल टावर लगाने का काम प्रगति पर है, जिसे 31 दिसंबर 2024 तक पूरा करने की योजना है। इस परियोजना के तहत प्रदेश के जनजातीय समुदाय को आधुनिक संचार सुविधाओं से जोड़ने के लिए राज्य सरकार विशेष रूप से तत्पर है। जनजातीय कार्य मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह ने बताया कि इन मोबाइल टावरों की स्थापना से पीवीटीजी समुदाय के लोग आधुनिक तकनीक का लाभ उठा सकेंगे। इसके साथ ही उन्हें जन-धन बैंक खातों और एडवांस बैंकिंग सिस्टम (जैसे ओटीपी और वेरिफिकेशन कोड) से भी जोड़ने में मदद मिलेगी।


इस पहल के तहत मंडला जिले में 11 गांवों/बसाहटों में 9 मोबाइल टावर स्थापित किए गए हैं। इसी तरह, सीधी जिले में 11 गांवों/बसाहटों में 8 मोबाइल टावर, डिंडोरी जिले में 9 गांवों/बसाहटों में 9 मोबाइल टावर, शहडोल जिले में 5 गांवों/बसाहटों में 5 मोबाइल टावर और शिवपुरी जिले में 4 गांवों/बसाहटों में 4 मोबाइल टावर लगाए गए हैं। इसके अलावा, नरसिंहपुर जिले में 4 गांवों/बसाहटों में 1 मोबाइल टावर, अनूपपुर जिले में 3 गांवों/बसाहटों में 3 मोबाइल टावर, ग्वालियर जिले में 2 गांवों/बसाहटों में 2 मोबाइल टावर, और अशोकनगर, बालाघाट एवं दतिया जिलों में 1-1 गांव/बसाहट में 1-1 मोबाइल टावर की स्थापना की गई है। मुरैना जिले में 2 मोबाइल टावर और छिंदवाड़ा एवं गुना में 1-1 मोबाइल टावर लगाने का काम चल रहा है।


राज्य सरकार द्वारा यह पहल प्रदेश के पिछड़े और दूरस्थ जनजातीय क्षेत्रों में डिजिटलीकरण (digitization) को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इस परियोजना को केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय के अधीन टेलीकॉम विभाग द्वारा वित्त पोषित किया जा रहा है। वित्तीय प्रावधान यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (USOF) के माध्यम से किए गए हैं, जो ऐसे दूरस्थ क्षेत्रों में कनेक्टिविटी सुधारने के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है।


मंत्री डॉ. शाह ने बताया कि नए मोबाइल टावर लगाने का कार्य तीव्र गति से प्रगति पर है। 43 नए 4जी मोबाइल टावर 31 दिसंबर तक कार्यशील हो जाएंगे। इन टावरों के सक्रिय होने से जनजातीय इलाकों में रहने वाले बंधुओं को आधुनिक संचार सुविधाएं उपलब्ध होंगी, जिससे उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव आएगा। इससे शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होगा और आपातकालीन सेवाएं अधिक प्रभावी बनेंगी।


इसके साथ ही, 78 गांवों और बसाहटों में 66 नए मोबाइल टावर लगाने का प्रस्ताव राज्य के जनजातीय कार्य विभाग द्वारा केंद्रीय टेलीकॉम विभाग को भेजा गया है। यह योजना इन इलाकों में इंटरनेट और मोबाइल कनेक्टिविटी की उपलब्धता सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाएगी। जनजातीय बस्तियों में कनेक्टिविटी के माध्यम से उन्हें मुख्यधारा में जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।


इस योजना का उद्देश्य केवल कनेक्टिविटी तक सीमित नहीं है। इसके जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल जागरूकता (digital literacy) बढ़ाने और उनके आर्थिक, शैक्षणिक और सामाजिक विकास को गति देने का भी लक्ष्य है। मोबाइल टावरों की स्थापना से इन इलाकों के लोगों को डिजिटल बैंकिंग, ऑनलाइन शिक्षा और सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में आसानी होगी। यह परियोजना इन दूरस्थ इलाकों में लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण (holistic approach) अपनाती है।


मंत्री ने बताया कि यह पहल प्रदेश के पिछड़े और आदिवासी क्षेत्रों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। डिजिटलीकरण के माध्यम से इन क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर सृजित किए जा सकेंगे। इसके साथ ही, ये प्रयास सामाजिक समावेशन (social inclusion) को बढ़ावा देंगे और इन इलाकों को राष्ट्रीय विकास की मुख्यधारा में शामिल करेंगे।


राज्य सरकार की इस योजना का व्यापक उद्देश्य यह है कि प्रदेश के हर कोने तक संचार सुविधाएं पहुंचें और कोई भी इलाका विकास की दौड़ में पीछे न छूटे। इससे न केवल जनजातीय क्षेत्रों में रह रहे लोगों को सुविधाएं मिलेंगी, बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने और उन्हें सशक्त बनाने में भी मदद मिलेगी। यह परियोजना, प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान के तहत डिजिटलीकरण और संचार क्रांति का एक अभिन्न हिस्सा है।


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