धरती पर जीवन की उत्पत्ति से लेकर उसके भविष्य के बारे में कई बार तरह-तरह की भविष्यवाणियाँ और शोध किए गए हैं। इन रिपोर्ट्स में अक्सर पर्यावरणीय समस्याएं, जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक संसाधनों की कमी के कारण जीवन के खात्मे की बात की जाती है। परंतु, क्या आपने कभी सोचा है कि एक दिन ऐसा भी आ सकता है, जब धरती पर सिर्फ महिलाएँ ही होंगी? हाल ही में वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक शोध में इस पर भी विचार किया गया है। इस अध्ययन में दावा किया गया है कि निकट भविष्य में नहीं, लेकिन लाखों साल बाद धरती पर पुरुषों का अस्तित्व समाप्त हो सकता है।
वाई क्रोमोसोम और लिंग निर्धारण
मानव शरीर में दो प्रकार के क्रोमोसोम होते हैं – X और Y। ये गुणसूत्र ही किसी व्यक्ति के लिंग का निर्धारण करते हैं। आमतौर पर, महिलाओं में दो X क्रोमोसोम (XX) होते हैं, जबकि पुरुषों में एक X और एक Y (XY) क्रोमोसोम होता है। Y क्रोमोसोम की उपस्थिति से ही यह तय होता है कि भ्रूण पुरुष लिंग का होगा। लेकिन, हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, Y क्रोमोसोम में मौजूद जीन धीरे-धीरे समाप्त होते जा रहे हैं, और यदि यह प्रवृत्ति जारी रहती है, तो एक समय ऐसा भी आ सकता है जब पुरुषों का जन्म लेना बंद हो जाए।
ऑस्ट्रेलियाई आनुवंशिकीविद् जेनी ग्रेव्स की अगुवाई में हुई इस रिसर्च में Y क्रोमोसोम के सिकुड़ते आकार और उसके कमजोर होते जा रहे जीन का अध्ययन किया गया। प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस में प्रकाशित इस शोध के मुताबिक, Y गुणसूत्र में पहले 900 जीन होते थे, जो अब घटकर केवल 45 जीन रह गए हैं। Y गुणसूत्र की यह सिकुड़न इस हद तक जा सकती है कि एक दिन ये जीन पूरी तरह खत्म हो सकते हैं।
Y क्रोमोसोम का महत्व और गिरावट की वजह
Y क्रोमोसोम न केवल लिंग का निर्धारण करता है, बल्कि यह पुरुषों में पाए जाने वाले अंडकोष के विकास और शुक्राणु उत्पादन के लिए भी महत्वपूर्ण है। जेनी ग्रेव्स बताती हैं कि Y गुणसूत्र का गिरावट का कारण मुख्यतः इसकी बनावट और कार्यप्रणाली में छिपा है।
- अंडकोष का असुरक्षित माहौल
- पारिवारिक जीन का नुकसान
क्या पुरुषों के विलुप्त होने का खतरा है?
इस अध्ययन के अनुसार, Y क्रोमोसोम के सिकुड़ने की प्रक्रिया के चलते भविष्य में पुरुषों की संख्या कम हो सकती है। जेनी ग्रेव्स बताती हैं कि इस प्रक्रिया में लगभग 70 लाख साल लग सकते हैं। यह प्रक्रिया धीमी है, लेकिन इसकी संभावना को नकारा नहीं जा सकता। ग्रेव्स का कहना है कि लोग Y गुणसूत्र के खत्म होने को लेकर अत्यधिक चिंतित हो रहे हैं, जबकि यह प्रक्रिया अभी भी लाखों साल दूर है।
वैज्ञानिक मानते हैं कि Y गुणसूत्र की समाप्ति के बावजूद मानव जाति के अस्तित्व पर तुरंत कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। कई अन्य जीव-जंतुओं में यह देखा गया है कि लिंग निर्धारण के लिए नए जीन उत्पन्न हो जाते हैं, जैसे कि कुछ छिपकलियों और चूहों में Y गुणसूत्र नहीं होने के बावजूद वे जीवित हैं और उनमें लिंग निर्धारण के लिए नए प्रकार के जीन उत्पन्न हुए हैं।
Y क्रोमोसोम के गायब होने की प्रक्रिया में तेजी और चिंताएं
यह भी देखा गया है कि विकासवादी दृष्टि से Y गुणसूत्र का सिकुड़न एक तीव्र प्रक्रिया है। जब यह गुणसूत्र पहली बार लगभग 18 करोड़ साल पहले अस्तित्व में आया था, तब उसमें करीब 900 जीन होते थे। परंतु समय के साथ इसमें कमी आती गई और अब यह 45 जीन तक सिमट गया है। वैज्ञानिक मानते हैं कि यह कमी आगे भी जारी रह सकती है, जो लाखों साल बाद इसे विलुप्ति की कगार पर ले आएगी।
Y गुणसूत्र के सिकुड़ने के प्रभाव को समझने के लिए वैज्ञानिकों ने कई तरह के जानवरों का भी अध्ययन किया है। उदाहरण के लिए, कुछ प्रकार की चूहों की प्रजातियों में Y गुणसूत्र बिल्कुल नहीं होता, फिर भी उनमें नर और मादा का विभाजन होता है। ऐसे में माना जा सकता है कि Y गुणसूत्र के विलुप्त होने के बाद भी लिंग निर्धारण का कोई नया तरीका विकसित हो सकता है।
क्या Y क्रोमोसोम के बिना भी मानव जाति का अस्तित्व संभव है?
वैज्ञानिकों के अनुसार, भविष्य में यह संभव है कि Y गुणसूत्र के बिना भी कोई नया लिंग निर्धारण तंत्र उत्पन्न हो जाए। यह विचार सिर्फ कल्पना पर आधारित नहीं है, बल्कि कई जीव-जंतुओं में इसका प्रमाण भी देखा जा चुका है। कुछ प्रकार की छिपकलियों और चूहों में, जिनके पास Y गुणसूत्र नहीं है, वे अन्य प्रकार के जीन के माध्यम से लिंग निर्धारण करते हैं। इस तरह का तंत्र मानवों में भी विकसित हो सकता है, यदि Y गुणसूत्र पूरी तरह से समाप्त हो जाए।
हालांकि, यह सब केवल संभावनाओं पर आधारित है और इसके लिए कई और शोध और अध्ययन की आवश्यकता है। फिलहाल, वैज्ञानिकों का मानना है कि Y क्रोमोसोम के सिकुड़ने की प्रक्रिया काफी धीमी है और इसे पूरी तरह से समाप्त होने में लाखों साल लग सकते हैं।