ग्वालियर में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक दंपति (couple) ने करोड़ों रुपये की ठगी कर फरार हो गए। यह मामला शहर के एक कीओस्क (kiosk) सेंटर से जुड़ा हुआ है, जिसे ये दंपति चलाते थे। बताया जा रहा है कि इस दंपति ने लोगों को एफडी (Fixed Deposit) और बैंक खाते (account opening) खोलने के नाम पर ठगा। लोगों का भरोसा जीतने के बाद उन्होंने धीरे-धीरे एक बड़ी रकम अपने खाते में ट्रांसफर कर ली और फिर शहर से गायब हो गए। ठगी की यह रकम लगभग 25 लाख रुपये बताई जा रही है।
स्थानीय निवासियों के अनुसार, यह दंपति लंबे समय से इलाके में अपनी सेवाएं दे रहे थे। उन्होंने बैंक से संबंधित काम, जैसे कि खाता खोलना, एफडी बनाना, और अन्य वित्तीय (financial) सेवाओं के लिए लोगों का विश्वास हासिल किया। आम लोगों को विश्वास था कि ये दंपति बैंक से मान्यता प्राप्त थे। हालांकि, यह जल्द ही साफ हो गया कि उनका असली मकसद लोगों को धोखा देना था।
पुलिस ने जब मामले की जांच शुरू की, तो यह सामने आया कि दंपति ने अपने कागजात और बैंकिंग सिस्टम का इस्तेमाल कर लोगों को झांसा दिया। उन्होंने लोगों को यह भरोसा दिलाया कि उनकी जमा की गई रकम पूरी तरह सुरक्षित है। ठगी के शिकार लोगों का कहना है कि उन्हें इस बात का बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि उनके साथ ऐसा धोखा हो सकता है।
जांच में यह भी पता चला कि दंपति ने कई जाली दस्तावेज (fake documents) तैयार किए थे। उन्होंने लोगों से कहा कि वे उनकी राशि को बैंक में जमा कर रहे हैं, लेकिन असल में ये पैसे उनके निजी खाते में जा रहे थे। ठगी का यह सिलसिला तब तक चलता रहा, जब तक लोग सतर्क नहीं हुए। जैसे ही ठगी का पर्दाफाश हुआ, दंपति तुरंत फरार हो गए।
पुलिस ने घटना के बाद इलाके में कई जगह छापेमारी की, लेकिन अब तक उनका कोई पता नहीं चल पाया है। ठगी का शिकार हुए लोगों ने पुलिस से गुहार लगाई है कि जल्द से जल्द उनकी मेहनत की कमाई उन्हें वापस दिलाई जाए। इस मामले में अब साइबर सेल (cyber cell) को भी शामिल किया गया है, क्योंकि ठगी का तरीका डिजिटल (digital) माध्यम से किया गया लगता है।
इस घटना ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है। लोग अब बैंकिंग सेवाओं के नाम पर किसी पर भरोसा करने से डरने लगे हैं। यह घटना उन लोगों के लिए एक सबक है, जो बिना जांच-पड़ताल किए किसी पर भरोसा कर लेते हैं। बैंकिंग (banking) से जुड़े मामलों में सतर्क रहना और हर लेन-देन का रिकॉर्ड रखना जरूरी है।
इस दंपति के बारे में स्थानीय लोगों का कहना है कि वे शुरू में काफी मिलनसार (friendly) थे। उन्होंने अपने व्यव्हार से लोगों का विश्वास जीता। इलाके में कई लोगों ने अपनी बचत उनके हवाले कर दी, यह सोचकर कि उनका पैसा सुरक्षित रहेगा। लेकिन यह भरोसा जल्द ही टूट गया। लोगों की शिकायत है कि दंपति ने उनकी मासूमियत का फायदा उठाया।
यह मामला पुलिस के लिए भी चुनौती बन गया है। अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के मामलों में अपराधी (criminals) अक्सर अपनी पहचान छुपाने के लिए नकली दस्तावेज और फर्जी नामों का इस्तेमाल करते हैं। दंपति ने भी यही तरीका अपनाया। उनके द्वारा इस्तेमाल किए गए पहचान पत्र (ID) और बैंक डिटेल्स भी फर्जी निकलीं।
पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि अगर किसी को इस दंपति के बारे में कोई जानकारी मिले, तो तुरंत सूचित करें। ठगी का यह मामला यह दर्शाता है कि आज के समय में धोखाधड़ी (fraud) के तरीके कितने जटिल (complex) हो गए हैं। लोग अपनी मेहनत की कमाई को सुरक्षित रखने के लिए बैंकिंग प्रक्रियाओं के बारे में अधिक जानकारी हासिल करें और सतर्क रहें।
आरोपी दंपति के फरार होने के बाद अब यह सवाल उठता है कि क्या उन्हें पकड़ा जा सकेगा और क्या ठगी गई रकम वापस मिल पाएगी। पुलिस का कहना है कि वे हर संभव प्रयास कर रहे हैं, लेकिन दंपति के भागने के तरीके और उनकी योजना (planning) ने जांच को और मुश्किल बना दिया है।
लोगों में अब इस घटना को लेकर गुस्सा और चिंता दोनों है। कई पीड़ितों ने अपनी जीवनभर की बचत इस उम्मीद में जमा की थी कि यह सुरक्षित हाथों में है। लेकिन अब उन्हें अपनी रकम के वापस मिलने की उम्मीद कम दिख रही है।
यह घटना यह भी दर्शाती है कि तकनीक (technology) और आधुनिक बैंकिंग सेवाओं के बढ़ने के साथ-साथ धोखाधड़ी के खतरे भी बढ़े हैं। ऐसे में आम जनता को जागरूक (aware) होना और सतर्क रहना जरूरी है। पुलिस और प्रशासन को भी चाहिए कि वे ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई करें और लोगों का विश्वास बहाल करें।
इस घटना ने न केवल पीड़ितों की आर्थिक स्थिति को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि उनके मनोबल को भी तोड़ा है। वे अब न्याय की उम्मीद कर रहे हैं और चाहते हैं कि आरोपी दंपति को जल्द से जल्द पकड़ा जाए और उन्हें सजा मिले।
आशा है कि यह मामला अन्य लोगों को सतर्क रहने और वित्तीय लेन-देन (financial transactions) में अधिक सावधानी बरतने के लिए प्रेरित करेगा।