आधुनिक जीवनशैली में लोग लंबे समय तक किसी रिश्ते में बंधने से हिचकिचाते हैं। कमिटमेंट का बोझ उठाने के बजाय वे ऐसा रिश्ता चाहते हैं जिसमें वे अपना समय और ऊर्जा दे सकें लेकिन बिना किसी विशेष जिम्मेदारी के। सिचुएशनशिप इसी का एक समाधान है, जहाँ दोनों लोग किसी प्रकार की बाध्यता के बिना एक-दूसरे का साथ ले सकते हैं। इसके अतिरिक्त, डेटिंग ऐप्स ने भी इस ट्रेंड को बढ़ावा दिया है। डेटिंग ऐप्स के आने से लोगों को अनेक विकल्प मिले हैं, और इतनी अधिक संभावनाओं के बीच सिचुएशनशिप बनाना आसान हो गया है। लोग एक-दूसरे को जानने और रिश्ते में शामिल होने से पहले किसी बंधन में नहीं बंधना चाहते। आधुनिक युवा अपने करियर और व्यक्तिगत जीवन पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। उनके लिए समय और ऊर्जा का संतुलन बनाना महत्वपूर्ण हो गया है, और वे किसी गंभीर रिश्ते में बंधने के बजाय एक ऐसा रिश्ता चाहते हैं जो उन्हें भावनात्मक सहयोग दे लेकिन उन्हें जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी फोकस करने का अवसर दे।
सिचुएशनशिप में निश्चित नियम या पारंपरिक सीमाएं नहीं होतीं, फिर भी इसमें कुछ अनलिखित नियम होते हैं जो इसे विशेष बनाते हैं। सिचुएशनशिप में अक्सर स्पष्टता की कमी होती है, जिससे दोनों लोगों को यह नहीं पता होता कि वे एक-दूसरे के लिए क्या महसूस करते हैं या उनका रिश्ता किस दिशा में जाएगा। यह अनिश्चितता सिचुएशनशिप का एक अहम पहलू है और यही इसे चुनौतीपूर्ण बनाता है। पारंपरिक रिश्तों की तरह सिचुएशनशिप में लॉन्ग-टर्म कमिटमेंट की अपेक्षा नहीं होती। इसमें शादी या किसी स्थायी रिश्ते का वादा नहीं किया जाता, बल्कि यह दो लोगों के साथ का एक अनौपचारिक माध्यम होता है। इसमें दोनों लोगों के बीच खुलेपन से बातचीत करने की स्वतंत्रता होती है। दोनों अपनी भावनाओं को बिना किसी झिझक के व्यक्त कर सकते हैं। इसमें दूसरे लव इंटरेस्ट या अन्य मामलों पर भी खुलकर बात करने की स्वतंत्रता होती है, जिससे रिश्ता पारदर्शी बनता है। सिचुएशनशिप दोनों लोगों को एक प्रकार का लचीलापन प्रदान करता है। इसमें कोई एक-दूसरे पर बंधन नहीं महसूस करता, जिससे रिश्ता स्वाभाविक रूप से आगे बढ़ता है। यह उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो किसी प्रकार की बाध्यता या दबाव के बिना एक-दूसरे के साथ रहना चाहते हैं। इस प्रकार के रिश्ते में दोनों पक्ष एक-दूसरे के प्रति अपेक्षाओं को लेकर स्पष्ट रहते हैं और जानते हैं कि वे इस रिश्ते में क्या चाहते हैं और क्या नहीं। इस तरह की सहमति इस रिश्ते को बोझ बनने से बचाती है।
हर रिश्ते की तरह, सिचुएशनशिप के भी कुछ फायदे और नुकसान हैं। इसे समझने के बाद ही यह निर्णय लेना बेहतर होता है कि यह आपके लिए सही है या नहीं। सिचुएशनशिप के कई फायदे हैं। इसमें दोनों पक्ष बिना किसी जिम्मेदारी के एक-दूसरे का साथ पा सकते हैं और रिश्ते में किसी भी प्रकार के दबाव के बिना इसे निभा सकते हैं। दोनों एक-दूसरे के साथ खुलकर बातें कर सकते हैं, जिससे रिश्ते में पारदर्शिता आती है। लोग अपनी प्राथमिकताओं के अनुसार रिश्ते को निभा सकते हैं, जिसमें कोई बाध्यता नहीं होती है। लेकिन इसके साथ ही सिचुएशनशिप के कुछ नुकसान भी हैं। इस तरह के रिश्तों में स्पष्टता की कमी होती है, जो अक्सर भावनात्मक उलझन का कारण बनती है। यह रिश्ता स्थायित्व के अभाव के कारण कई बार नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, और दोनों पक्षों के लिए यह अस्थिरता समस्या का कारण बन सकती है। जब एक पक्ष इस रिश्ते को अधिक गंभीरता से लेता है और दूसरा पक्ष नहीं, तो यह भ्रम और दर्द का कारण बन सकता है।
सिचुएशनशिप एक हेल्दी रिश्ता बन सकता है, बशर्ते कि दोनों लोग एक ही पृष्ठ पर हों और उनकी अपेक्षाएँ समान हों। जब दोनों लोग एक-दूसरे के साथ बिना किसी दबाव के आगे बढ़ते हैं और ईमानदारी से एक-दूसरे के प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं, तो यह एक स्वस्थ और संतुलित रिश्ता बन सकता है। हालाँकि, जैसे-जैसे समय बीतता है, अक्सर एक पक्ष रिश्ते में अधिक जुड़ाव महसूस कर सकता है, जिससे जटिलताएँ उत्पन्न होती हैं और रिश्ते में समस्याएँ भी हो सकती हैं। सिचुएशनशिप हर व्यक्ति के लिए उपयुक्त नहीं होता। यदि आप एक स्थायी और पारंपरिक रिश्ते की तलाश में हैं, तो यह आपके लिए सही विकल्प नहीं है। लेकिन अगर आप किसी रिश्ते में बंधने से पहले एक-दूसरे को बेहतर जानना चाहते हैं और अपने जीवन को स्वतंत्र रूप से जीना चाहते हैं, तो सिचुएशनशिप आपके लिए लाभदायक हो सकता है। सिचुएशनशिप को समझने और स्वीकारने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि आप अपने साथी के साथ स्पष्टता और ईमानदारी बनाए रखें।