Low Tunnel Farming: कम लागत में ज्यादा कमाई, किसान बने अमीर!

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Low Tunnel Farming

 ठंड के मौसम में फसल उगाने के लिए लो टनल तकनीक एक वरदान साबित हो रही है। इस तकनीक से किसान ठंड के मौसम में उन फसलों की बुवाई कर सकते हैं जो सामान्यतः ठंड में नहीं उगाई जा सकती। इसमें न केवल फसल का अंकुरण (germination) बेहतर होता है, बल्कि यह फसल को पाले से बचाने में भी मददगार साबित होती है। लो टनल के अंदर का वातावरण फसल के लिए अनुकूल रहता है, जिससे उनकी ग्रोथ (growth) तेज हो जाती है। इससे किसान जल्दी फसल तैयार कर बाजार में अच्छे दाम पा सकते हैं।

टमाटर, मिर्च, तरबूज, खरबूज और करेले जैसी पांच अगेती फसलें लो टनल में आसानी से उगाई जा सकती हैं। उदाहरण के तौर पर, टमाटर की नर्सरी 15 दिसंबर के आसपास लगाई जा सकती है और जनवरी में इसे खेत में ट्रांसप्लांट किया जा सकता है। इसी प्रकार मिर्च और तरबूज के लिए भी यह तकनीक उपयोगी है। लो टनल न केवल फसलों को ठंड से बचाता है, बल्कि यह कीटों और रोगों से भी सुरक्षा प्रदान करता है। इससे किसानों का कीटनाशक (pesticide) का खर्च भी बचता है।

एक एकड़ खेत में लो टनल लगाने का खर्चा लगभग ₹19,120 आता है। इसमें मुख्य खर्चा फाइबर की स्टिक और क्रॉप कवर का होता है। फाइबर की स्टिक मजबूत होती है और लगभग 10 साल तक चलती है, जिससे हर साल इसे खरीदने की आवश्यकता नहीं होती। हालांकि, क्रॉप कवर हर साल बदलना पड़ता है। यह एक बार का निवेश है जो लंबे समय तक किसानों को लाभ प्रदान करता है।

इस तकनीक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह फसल उत्पादन को अन्य किसानों की तुलना में एक महीने पहले संभव बनाती है। इससे बाजार में बेहतर दाम मिलने की संभावना बढ़ जाती है। साथ ही, लो टनल से फसल का उत्पादन बेहतर होता है, जिससे किसान की आय दोगुनी हो सकती है। लो टनल का उपयोग करना आसान है और इसे खेत में लगाने के लिए केवल कुछ साधारण उपकरणों की आवश्यकता होती है।

किसानों को इस तकनीक का लाभ उठाने के लिए उचित योजना और संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करना चाहिए। वीडियो में दी गई जानकारी किसानों को यह समझाने में मदद करती है कि कैसे कम लागत में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। लो टनल तकनीक आधुनिक खेती की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और इसे अपनाने से किसान अपनी आय को कई गुना बढ़ा सकते हैं।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षणिक और सामान्य ज्ञान के उद्देश्य से प्रदान की गई है। यह किसी भी प्रकार की पेशेवर सलाह, कृषि विशेषज्ञता या प्रमाणित मार्गदर्शन का विकल्प नहीं है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी कृषि तकनीक या प्रक्रिया को अपनाने से पहले संबंधित विशेषज्ञों या अधिकारियों से परामर्श करें। लेख में शामिल सामग्री के उपयोग से होने वाले किसी भी प्रकार के नुकसान या हानि के लिए लेखक या प्रकाशक उत्तरदायी नहीं होंगे। आपकी सफलता आपकी व्यक्तिगत परिस्थितियों और प्रयासों पर निर्भर करती है। कृपया अपनी स्थिति और आवश्यकताओं के अनुसार उचित निर्णय लें।

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