रूस की रहने वाली यूलिया बेहतर काम और अच्छी कमाई की उम्मीद से भारत आई थीं। दिल्ली के एक शख्स, जिसे दीपू कहते हैं, ने उन्हें यहां बुलाकर काम दिलाने का वादा किया था। यूलिया को उम्मीद थी कि यहां उन्हें एक अच्छी नौकरी मिलेगी, जिससे वे कुछ पैसे कमा पाएंगी और घर लौट सकेंगी। लेकिन दिल्ली पहुँचने के बाद उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया। दीपू ने उन्हें काम के बहाने ग्वालियर भेज दिया, जहाँ उन्हें एक बार में काम करने को कहा गया। यह बार कोई साधारण जगह नहीं थी, बल्कि यहां पर उनसे ऐसे काम करवाने की कोशिश की गई जो वे नहीं करना चाहती थीं। जब यूलिया ने इससे मना किया तो दीपू ने उनका पासपोर्ट छीन लिया, जिससे उनकी घर लौटने की सारी उम्मीदें टूट गईं।
काम से मना करने पर दीपू ने यूलिया का पासपोर्ट अपने पास रख लिया। एक विदेशी महिला के लिए पासपोर्ट ही उसका सहारा होता है, जिससे वह अपने देश लौट सके। बिना पासपोर्ट के यूलिया की स्थिति खराब हो गई, और उन्होंने खुद को बहुत असहाय और डरी हुई महसूस किया। उन्होंने कई लोगों से मदद मांगी, लेकिन कोई रास्ता नहीं मिला। जब हर कोशिश नाकाम रही, तो वे आखिरकार पुलिस के पास गईं और अपनी पूरी परेशानी बताई।
ग्वालियर पुलिस ने यूलिया की परेशानी को गंभीरता से लिया और तुरंत कदम उठाए। उन्होंने पहले दुभाषिये की मदद से यूलिया की पूरी बात समझी और जानने की कोशिश की कि वह क्या चाहती हैं। पुलिस को पता चला कि यूलिया बस अपना पासपोर्ट वापस चाहती हैं ताकि वह अपने देश लौट सकें। इसके बाद पुलिस ने दीपू से संपर्क किया और उसे समझाया कि अगर यूलिया यहां काम नहीं करना चाहतीं तो उन्हें उनका पासपोर्ट लौटाना चाहिए। पुलिस की इस सख्त बातों के बाद दीपू ने यूलिया का पासपोर्ट वापस कर दिया, जिससे वह राहत की सांस ले सकीं।
भारत में हमेशा से कहा जाता है कि "अतिथि देवो भवः" यानी मेहमान भगवान के समान होते हैं। लेकिन यूलिया के साथ जो हुआ उसने इस परंपरा पर सवाल खड़ा कर दिया। भारत में हम अपने मेहमानों का स्वागत करते हैं और उनके साथ अच्छा व्यवहार करने का वादा करते हैं, लेकिन कुछ लोगों की वजह से यह परंपरा टूट रही है। यूलिया ने भारत में एक नई शुरुआत की उम्मीद के साथ कदम रखा था, लेकिन उन्हें यहाँ धोखे का सामना करना पड़ा। यह घटना हमें याद दिलाती है कि हमारे देश का नाम यहां आने वाले लोगों के अनुभवों से जुड़ा होता है, और हमें अपने मेहमानों के साथ सही व्यवहार करना चाहिए।
इस घटना के बाद ग्वालियर पुलिस ने मामले की जाँच की और रूसी दूतावास को यूलिया के बारे में सूचित किया, ताकि वे सुरक्षित अपने देश लौट सकें। पुलिस ने दीपू की भूमिका की भी पड़ताल शुरू की है, ताकि भविष्य में कोई और विदेशी व्यक्ति ऐसी परिस्थिति का शिकार न हो। ग्वालियर पुलिस की यह कोशिश सराहनीय है क्योंकि उन्होंने एक विदेशी महिला को उनके अधिकार दिलाने के लिए पूरी तत्परता से काम किया। पुलिस की इस कार्रवाई ने समाज में एक अच्छा संदेश भेजा है।
यूलिया की इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि किसी भी विदेशी मेहमान के साथ सम्मान और इमानदारी से पेश आना चाहिए। यह घटना सिर्फ एक महिला के साथ हुई परेशानी नहीं है, बल्कि यह हमारी जिम्मेदारी को भी दर्शाती है कि हम अपने देश में आने वाले मेहमानों को अच्छा अनुभव दें। हमें अपने समाज में जागरूकता फैलाने की जरूरत है ताकि हर कोई इस बात को समझ सके कि हमारा देश मेहमाननवाजी और अच्छे व्यवहार के लिए जाना जाता है।
ग्वालियर पुलिस ने इस मामले में एक बेहतरीन काम किया और यूलिया को उनका पासपोर्ट लौटाकर सुरक्षित महसूस कराया। लेकिन यह केवल पुलिस की ही जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह हम सभी की जिम्मेदारी बनती है कि हमारे देश में आने वाले लोग यहाँ से अच्छे अनुभव लेकर जाएं। यूलिया की इस घटना से हमें यह समझना चाहिए कि हर विदेशी का अनुभव हमारे देश की छवि को बनाता या बिगाड़ता है। अगर हम अपने देश को अच्छे से प्रस्तुत करना चाहते हैं तो हर व्यक्ति को जिम्मेदारी से काम लेना चाहिए।
यूलिया की यह कहानी हमें बताती है कि हमें और भी सतर्क और सजग रहने की जरूरत है। ऐसे मामलों को लेकर प्रशासन और जनता को मिलकर काम करना होगा, ताकि भविष्य में किसी विदेशी नागरिक के साथ ऐसा न हो। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे देश में आने वाले हर व्यक्ति को यहाँ सुरक्षित और सम्मानित महसूस हो। अगर हम यह जिम्मेदारी समझेंगे, तो यूलिया जैसी घटनाओं को रोक पाना मुमकिन होगा।