रत्नगर्भा नगरी पन्ना की भूमि सदियों से अपने गर्भ में अनमोल हीरे संजोए हुए है। यहां की मिट्टी में छुपे ये रत्न समय-समय पर अपनी चमक से लोगों की किस्मत बदलते रहे हैं। हाल ही में पन्ना जिले की सरकोहा खदान में बृजपुर के निवासी दिव्यांशु और प्रांजुल को छह हीरे प्राप्त हुए हैं, जिनकी कुल अनुमानित कीमत 15 लाख रुपये से अधिक है।
दिव्यांशु और प्रांजुल ने बिनाई के चाल की धुलाई और बिनाई के दौरान इन हीरों को खोजा। इनमें से प्रत्येक हीरे का वजन क्रमशः 0.33, 0.66, 0.83, 1.84, 1.49 और 3.50 कैरेट है। इन हीरों को दोनों ने जिला कलेक्ट्रेट स्थित हीरा कार्यालय में जमा कराया है, जहां इन्हें आगामी 4 दिसंबर को होने वाली नीलामी में बिक्री के लिए प्रस्तुत किया जाएगा।
पन्ना की खदानें समय-समय पर ऐसे कीमती हीरे उगलती रही हैं, जो आम लोगों की जिंदगी में बड़ा बदलाव लाते हैं। यहां की उथली खदानों में मेहनत करने वाले कई लोग रातों-रात लखपति बन जाते हैं। दिव्यांशु और प्रांजुल की यह खोज न केवल उनकी मेहनत का फल है, बल्कि यह दर्शाती है कि पन्ना की धरती आज भी अनमोल रत्नों से भरपूर है।
हीरा कार्यालय के अनुसार, इन हीरों की नीलामी में तुआदारों को अच्छी कीमत मिलने की संभावना है। पिछली नीलामी मार्च में हुई थी, और तब से तुआदार इस नीलामी का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। अब देखना होगा कि 4 दिसंबर को होने वाली नीलामी में ये हीरे किस कीमत पर बिकते हैं और दिव्यांशु एवं प्रांजुल की मेहनत का उन्हें कितना फल मिलता है।
पन्ना की खदानों में हीरा खोजने का कार्य जोखिम भरा और मेहनत से भरा होता है, लेकिन जब किस्मत साथ देती है, तो यह मेहनत जीवन को नई दिशा दे सकती है। दिव्यांशु और प्रांजुल की यह सफलता उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो अपनी मेहनत और लगन से अपनी तकदीर बदलने का सपना देखते हैं।
पन्ना की भूमि में छुपे इन रत्नों की खोज जारी है, और यह उम्मीद की जाती है कि भविष्य में भी ऐसे कई लोग अपनी मेहनत से अनमोल हीरे खोजकर अपनी जिंदगी संवारेंगे। दिव्यांशु और प्रांजुल की यह कहानी इस बात का प्रमाण है कि पन्ना की धरती आज भी हीरे उगल रही है और लोगों की किस्मत बदल रही है।