भोपाल में आवारा कुत्तों के काटने की घटनाओं के बाद अब बिल्लियों के काटने के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। पिछले एक वर्ष में, भोपाल में लगभग 2,000 लोग बिल्लियों के काटने का शिकार हुए हैं, जो इलाज के लिए अस्पताल पहुंचे। पूरे मध्य प्रदेश में यह संख्या 20,000 तक पहुंच गई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि बिल्लियों के काटने की घटनाएं भी चिंता का विषय बनती जा रही हैं।
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2023 से मार्च 2024 तक भोपाल में 2,280 लोगों को बिल्लियों ने काटा। जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में यह संख्या 1,200 थी। इसी अवधि में, जबलपुर में 1,548, इंदौर में 1,428 और ग्वालियर में 598 लोग बिल्लियों के काटने का शिकार हुए। यह वृद्धि दर्शाती है कि बिल्लियों के काटने के मामले बड़े शहरों में अधिक हो रहे हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, बिल्लियों के काटने के बाद भी रैबीज (Rabies) का खतरा बना रहता है। डॉ. आदित्य परिहार बताते हैं कि आमतौर पर लोग मानते हैं कि बिल्लियों के काटने से रैबीज का खतरा नहीं होता, लेकिन यह धारणा गलत है। बिल्लियों के काटने के बाद भी एंटी-रैबीज वैक्सीन (Anti-Rabies Vaccine) लगवाना आवश्यक है, ताकि संक्रमण से बचा जा सके।
मध्य प्रदेश में कुत्तों के काटने के मामलों में भी वृद्धि देखी गई है। भोपाल में पिछले कुछ महीनों में कुत्तों के काटने की घटनाओं में तेजी आई है, जिससे कई लोग घायल हुए हैं। नगर निगम के कॉल सेंटर पर प्रतिदिन 100 से 150 लोग कुत्तों के काटने की शिकायत दर्ज करा रहे हैं। 16 से 23 जनवरी 2024 तक एक सप्ताह में ही 667 शिकायतें दर्ज की गईं।
कुत्तों के काटने की घटनाओं के बाद, नगर निगम ने कुत्तों को पकड़ने और उनकी नसबंदी (Sterilization) के लिए अभियान चलाया है। महापौर मालती राय ने नागरिकों से अपील की है कि वे आवारा कुत्तों से दूरी बनाकर चलें और उन्हें अनावश्यक रूप से परेशान न करें। उन्होंने यह भी कहा कि नगर निगम कुत्तों को पकड़कर उनकी नसबंदी करवाता है, लेकिन उन्हें जंगल में नहीं छोड़ा जा सकता।
बिल्लियों के काटने के मामलों में वृद्धि के बावजूद, इस दिशा में जागरूकता की कमी है। लोगों को बिल्लियों के काटने के बाद भी एंटी-रैबीज वैक्सीन लगवाने की सलाह दी जाती है, ताकि संक्रमण से बचा जा सके। इसके अलावा, बिल्लियों के व्यवहार को समझना और उनसे सुरक्षित दूरी बनाकर चलना आवश्यक है।
कुत्तों और बिल्लियों के काटने के मामलों में वृद्धि के पीछे कई कारण हो सकते हैं। शहरीकरण (Urbanization) के कारण आवारा पशुओं की संख्या में वृद्धि, भोजन की कमी, और मानव-पशु संघर्ष (Human-Animal Conflict) इनमें से कुछ प्रमुख कारण हैं। इसके अलावा, पशुओं की नसबंदी और टीकाकरण (Vaccination) की कमी भी इन घटनाओं में वृद्धि का कारण बन सकती है।
सरकार और स्थानीय प्रशासन को इन घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। आवारा पशुओं की नसबंदी, टीकाकरण, और उनके लिए आश्रय स्थलों (Shelters) की व्यवस्था की जानी चाहिए। साथ ही, नागरिकों को भी पशुओं के प्रति संवेदनशीलता (Sensitivity) और सतर्कता बरतनी चाहिए, ताकि ऐसे हादसों से बचा जा सके।
अंततः, कुत्तों और बिल्लियों के काटने के मामलों में वृद्धि एक गंभीर समस्या है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसके लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है, जिसमें सरकार, स्थानीय प्रशासन, और नागरिकों की भागीदारी महत्वपूर्ण है। साथ ही, पशुओं के प्रति दया और समझदारी (Compassion and Understanding) का व्यवहार अपनाना भी आवश्यक है, ताकि मानव और पशु दोनों सुरक्षित रह सकें।